अबू मोहम्मद अल-जोलानी का ‘नया शाम’ का वादा: फ़िरक़ावारियत के ख़िलाफ़ जद्दो-जहद का आग़ाज़
दमिश्क की उमय्यद मस्जिद से पैग़ाम:
अबू मोहम्मद अल-जोलानी, जो कभी अल-कायदा के एक सरगर्म मुजाहिद थे और अब हयात तहरीर-अल-शाम (HTS) के क़ाइद हैं, ने दमिश्क की तारीख़ी उमय्यद मस्जिद से अपना पेग़ाम पेश किया। 1,300 साल पुरानी इस मस्जिद से उन्होंने सांप्रदायिक ताल्लुकात को मज़बूत करने, मज़हबी रवादारी को बढ़ावा देने, और ईरानी मुदाख़लत को ख़त्म करने की बात कही।
असद हुकूमत का ख़ात्मा और नई इब्तिदा:
जोलानी ने इस ख़िताब में असद हुकूमत के ख़िलाफ़ मिली कामयाबी का ज़िक्र करते हुए कहा, “ये फ़तह सिर्फ़ शहीदों, बेवाओं, और यतीमों की कुर्बानी का नतीजा है।” उन्होंने सीरिया को ईरानी असर से आज़ाद कराने और मुल्क के लिए एक नई राह तय करने का वादा किया।
मज़हबी इंतिशार का ख़ात्मा:
जोलानी, जो ख़ुद एक सुन्नी मुसलमान हैं, ने अपने अल्फ़ाज़ में इस्लामी मुआशरे की एकता पर ज़ोर दिया। उन्होंने कहा, “अब वो वक्त आ गया है, जब सीरिया मज़हबी इंतिशार से आज़ाद होकर तरक़्क़ी की जानिब बढ़ेगा।” ये पैग़ाम सिर्फ़ सुन्नी अवाम के लिए नहीं, बल्कि शिया, ईसाई, ड्रूज़ और दूसरे अक़लियतों के लिए भी था।
ईरान और आलमी ताक़तों को पैग़ाम:
अपने ख़िताब में अल-जोलानी ने ईरानी मुदाख़लत को निशाना बनाया और कहा कि सीरिया अब ईरानी महरक़ा नहीं रहेगा। उन्होंने ईरान के हिज़्बुल्लाह और दीगर प्रॉक्सी नेटवर्क्स को ख़त्म करने की बात की। साथ ही, अमरीका और इसराईल को ये पैग़ाम भी दिया कि “नए सीरिया में उनके मफ़ादात को समझा गया है।”
आलमी सियासत में दख़ल:
अल-जोलानी का सीएनएन को दिया गया इंटरव्यू भी उनके इरादों का हिस्सा था, जिसमें उन्होंने असद को जिहादियों की क्रूर रणनीतियों का ज़िम्मेदार ठहराया। इस इंटरव्यू के बाद अमरीकी सदर जो बाइडन ने कहा, “जोलानी सही बातें कर रहे हैं, लेकिन उनके अमल से ही उनका जायज़ा लिया जाएगा।”
इलाकाई ताक़तों के लिए ख़बरदार:
जोलानी ने अपने ख़िताब में इस बात को वाज़ेह किया कि इलाकाई ताक़तें अगर उनको किनारे करने की कोशिश करेंगी, तो सीरिया का नया निज़ाम मख़दूश हो सकता है। उन्होंने साफ़गोई से कहा कि अब वक़्त साफ़-सुथरी सियासत का है।
नए दौर की शुरुआत:
जोलानी का ये सफर दहशतगर्दी से लेकर इलाकाई रहनुमा बनने तक का है। उनका मौजूदा पैग़ाम सीरिया के मुस्तकबिल को न केवल मज़बूत बनाने की कोशिश है, बल्कि आलमी बिरादरी से अपनी शिनाख्त को तस्लीम करवाने का भी है।
यह खिताब सिर्फ़ एक बयान नहीं, बल्कि एक रणनीति है, जो सीरिया के मुस्तकबिल और आलमी सियासत में जोलानी के मक़ाम को वाज़ेह करता है।