औरंगाबाद: स्मार्ट सिटी बनने की ओर अग्रसर औरंगाबाद में महानगर पालिका की लापरवाही एक बड़ी समस्या बनती जा रही है। शहर का कचरा उठाने वाली घंटा गाड़ियां खुद कचरे के ढेर में तब्दील हो गई हैं। यह स्थिति न केवल प्रशासन की अनदेखी दिखा रही है, बल्कि स्मार्ट सिटी प्रोजेक्ट की हकीकत भी उजागर कर रही है।
घंटा गाड़ियों की दुर्दशा
शहर की सफाई व्यवस्था का मुख्य हिस्सा मानी जाने वाली घंटा गाड़ियां अब जर्जर अवस्था में हैं। कई गाड़ियां सड़क किनारे खड़ी हैं, जिनकी मरम्मत तक नहीं हो रही। गाड़ियों की खराब हालत के कारण कचरा संग्रहण बाधित हो रहा है, जिससे शहर में जगह-जगह गंदगी के ढेर लग गए हैं।
मनपा की अनदेखी
महानगर पालिका के अधिकारियों की लापरवाही के कारण इन गाड़ियों की हालत बद से बदतर हो रही है। स्थानीय नागरिकों का कहना है कि प्रशासन स्मार्ट सिटी का नाम लेकर योजनाएं बनाता है, लेकिन जमीनी हकीकत इससे कोसों दूर है।
स्मार्ट सिटी की पोल खुली
स्मार्ट सिटी प्रोजेक्ट के तहत औरंगाबाद को स्वच्छ और विकसित शहर बनाने का दावा किया गया था। लेकिन कचरा प्रबंधन की यह स्थिति प्रशासन की उदासीनता को उजागर कर रही है। स्थानीय नागरिकों का कहना है कि अगर यही हाल रहा तो शहर की सफाई व्यवस्था पूरी तरह चरमरा जाएगी।
नागरिकों का आक्रोश
शहरवासियों ने महानगर पालिका से सवाल पूछा है कि घंटा गाड़ियों की मरम्मत और कचरा प्रबंधन पर ध्यान क्यों नहीं दिया जा रहा? उनका कहना है कि जब तक प्रशासन इस समस्या को गंभीरता से नहीं लेगा, शहर को स्वच्छ बनाना मुश्किल होगा।
प्रशासन से अपील
स्थानीय लोग प्रशासन से मांग कर रहे हैं कि घंटा गाड़ियों की मरम्मत और कचरा प्रबंधन पर तुरंत ध्यान दिया जाए, ताकि औरंगाबाद को वाकई स्मार्ट सिटी बनाया जा सके।