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संतोष देशमुख हत्या मामला: बीड में जनसैलाब, मंत्री धनंजय मुंडे की बर्खास्तगी की मांग

बीड शहर में मसाजोग गांव के सरपंच संतोष देशमुख की हत्या के विरोध में शनिवार को भारी जनसैलाब उमड़ा। लाखों लोग एकत्र होकर न्याय की मांग करते हुए विरोध मार्च में शामिल हुए। प्रदर्शन में महायुति और विपक्ष के कई प्रमुख नेता भी शरीक हुए।

मराठा आरक्षण आंदोलन के प्रमुख मनोज जरांगे, कोल्हापुर राजपरिवार के छत्रपति संभाजी, भाजपा विधायक सुरेश धास और अभिमन्यु पवार, एनसीपी विधायक प्रकाश सोलंके, जितेंद्र आव्हाड और संदीप क्षीरसागर सहित कई नेताओं ने मार्च में भाग लिया। प्रदर्शनकारियों ने धनंजय मुंडे के सहयोगी वाल्मीक कराड को हत्या का मास्टरमाइंड बताते हुए उनकी गिरफ्तारी की मांग की।

हत्या का मामला

संतोष देशमुख का 9 दिसंबर को अपहरण कर यातनाएं देने के बाद उनकी हत्या कर दी गई थी। पुलिस ने अब तक चार आरोपियों को गिरफ्तार किया है, लेकिन मुख्य आरोपी वाल्मीक कराड अब भी फरार है। राज्य विधानमंडल के शीतकालीन सत्र में विपक्षी नेताओं ने धनंजय मुंडे पर गंभीर आरोप लगाए और निष्पक्ष जांच के लिए उनकी बर्खास्तगी की मांग की।

परिवार ने उठाई न्याय की आवाज

संतोष देशमुख की बेटी वैभवी देशमुख ने विरोध प्रदर्शन के दौरान अपने पिता के लिए न्याय की गुहार लगाई। उन्होंने कहा कि उनके पिता ने दलित समुदाय के एक व्यक्ति को बचाने के लिए अपनी जान कुर्बान की।

महायुति नेताओं ने जताई नाराजगी

भाजपा विधायक अभिमन्यु पवार ने कहा, “यदि आरोपियों को जल्द गिरफ्तार नहीं किया गया, तो विरोध महाराष्ट्र के अन्य हिस्सों में भी फैलेगा।” उन्होंने परिवार को न्याय दिलाने की अपील की। वहीं, भाजपा विधायक सुरेश धास ने धनंजय मुंडे पर फर्जी वोटों के सहारे चुनाव जीतने का आरोप लगाया।

मुंडे की बर्खास्तगी की मांग

एनसीपी विधायक प्रकाश सोलंके ने कहा कि हत्या के 19 दिन बाद भी कुछ आरोपी फरार हैं, जो जांच में ढिलाई को दर्शाता है। उन्होंने धनंजय मुंडे को बर्खास्त कर निष्पक्ष जांच सुनिश्चित करने की मांग की। शिवसेना (यूबीटी) और मराठा आरक्षण आंदोलन के नेताओं ने भी पंकजा मुंडे के इस्तीफे की मांग की है।

आंदोलन की चेतावनी

मराठा आरक्षण कार्यकर्ता मनोज जरांगे ने कहा कि मराठा समुदाय तब तक शांत नहीं बैठेगा जब तक संतोष देशमुख को न्याय नहीं मिलता। आंदोलनकारियों ने जल्द से जल्द कार्रवाई न होने पर राज्यव्यापी प्रदर्शन की चेतावनी दी है।

इस घटना ने महाराष्ट्र की राजनीति में हलचल मचा दी है और सरकार पर दबाव बढ़ा दिया है।

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