“ये बाबर को पीटते-पीटते थक गए तो औरंगज़ेब को उठा लाए, मुर्दों से लड़ना माफ़ी-वीरों की आदत है” –गौहर रज़ा

नई दिल्ली: प्रसिद्ध वैज्ञानिक और कवि गौहर रज़ा एक बार फिर विवादों में घिर गए हैं। हाल ही में एक सार्वजनिक कार्यक्रम में उन्होंने RSS पर कटाक्ष करते हुए कहा—
“ये बाबर को पीटते-पीटते थक गए तो औरंगज़ेब को उठा लाए। मुर्दों से लड़ना माफ़ी-वीरों की आदत है।”
उनके इस बयान ने सोशल मीडिया पर बहस छेड़ दी है और RSS सहित हिंदूवादी संगठनों ने इसकी कड़ी आलोचना की है।
RSS और हिंदूवादी संगठनों की प्रतिक्रिया
गौहर रज़ा के इस बयान के बाद RSS, विश्व हिंदू परिषद (VHP) और बजरंग दल ने उन्हें आड़े हाथों लिया।
VHP के प्रवक्ता ने कहा,
“गौहर रज़ा इतिहास को तोड़-मरोड़कर पेश कर रहे हैं। ऐसे भड़काऊ बयान देश को गुमराह करने की साजिश का हिस्सा हैं।”
बजरंग दल ने आरोप लगाया,
“इस तरह के बयान सामाजिक सौहार्द बिगाड़ने और सांप्रदायिक तनाव बढ़ाने के लिए दिए जाते हैं। गौहर रज़ा को तुरंत माफी मांगनी चाहिए।”
सोशल मीडिया पर छिड़ी बहस
गौहर रज़ा के बयान के बाद #GauharRaza और #RSS सोशल मीडिया पर ट्रेंड करने लगे। लोगों की मिली-जुली प्रतिक्रियाएं सामने आ रही हैं—
समर्थकों का कहना है कि गौहर रज़ा ने ऐतिहासिक तथ्यों को स्पष्ट किया है और उनके शब्दों को गलत तरीके से पेश किया जा रहा है।
विरोधियों का कहना है कि यह बयान हिंदू संगठनों को बदनाम करने और समाज में विभाजन पैदा करने की कोशिश है।
इतिहास के आईने में बाबर और औरंगज़ेब
गौहर रज़ा के बयान में जिन ऐतिहासिक शासकों का ज़िक्र हुआ है, वे भारतीय इतिहास में महत्वपूर्ण रहे हैं—
बाबर (1526-1530) – मुगल साम्राज्य के संस्थापक।
औरंगज़ेब (1658-1707) – मुगलों का सबसे विवादित शासक, जिन पर धार्मिक असहिष्णुता के आरोप लगे।
राजनीतिक विश्लेषकों की राय
राजनीतिक विशेषज्ञों का मानना है कि ऐसे बयान राजनीतिक ध्रुवीकरण को बढ़ावा देते हैं।
विश्लेषक अरुण त्रिपाठी कहते हैं,
“ऐतिहासिक किरदारों को लेकर विवाद खड़ा करना अब एक नई रणनीति बन चुका है, जिससे राजनीतिक और वैचारिक फायदे लिए जाते हैं।”
क्या गौहर रज़ा माफी मांगेंगे?
गौहर रज़ा ने अभी तक इस बयान पर कोई सफाई नहीं दी है, लेकिन राजनीतिक और सामाजिक दबाव के चलते यह देखना दिलचस्प होगा कि वे अपने शब्दों पर कायम रहते हैं या माफी मांगते हैं।
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