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AI तकनीक का दुरुपयोग: सोशल मीडिया पर मुस्लिम महिलाओं के खिलाफ बढ़ता साइबर अपराध

Writer : Feroz Aashiq

तकनीक विकास के साथ-साथ समाज में बदलाव लाती है, लेकिन जब वही तकनीक नफरत और शोषण का माध्यम बन जाए, तो यह चिंता का विषय बन जाता है। आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) के दुरुपयोग का एक नया और खतरनाक रूप सामने आया है – मुस्लिम महिलाओं की मॉर्फ की गई अर्ध-अश्लील छवियों और वीडियो का प्रसार। हाल के दिनों में, सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स पर ऐसे पेजों की बाढ़ आ गई है जो एआई-जनरेटेड इमेजरी के माध्यम से महिलाओं का अपमान कर रहे हैं और सांप्रदायिक तनाव को बढ़ावा दे रहे हैं।

तकनीक का दुरुपयोग या सुनियोजित अभियान?

पत्रकारों और शोधकर्ताओं की हालिया रिपोर्ट्स से यह स्पष्ट हुआ है कि फेसबुक, इंस्टाग्राम और टेलीग्राम पर ऐसे हजारों पेज सक्रिय हैं जो मुस्लिम महिलाओं की तस्वीरों को मॉर्फ कर उन्हें आपत्तिजनक तरीके से प्रस्तुत कर रहे हैं। इनमें से कई छवियों में एक खास पैटर्न देखने को मिलता है—जिसमें मुस्लिम महिलाओं को हिंदू पुरुषों के साथ अंतरंग स्थिति में दिखाया जाता है। यह न सिर्फ महिला विरोधी मानसिकता को दर्शाता है, बल्कि सांप्रदायिक ध्रुवीकरण को भी बढ़ावा देता है।

पत्रकार आदित्य मेनन ने अपने शोध में पाया कि इस तरह के अधिकतर पेज हिंदुत्व समर्थक विचारधारा से जुड़े हुए हैं। सवाल यह उठता है कि क्या यह सिर्फ कुछ विकृत मानसिकता वाले व्यक्तियों की करतूत है, या फिर इसके पीछे कोई संगठित साजिश है?

‘बुल्ली बाई’ और ‘सुल्ली डील्स’ से लेकर एआई तक – ऑनलाइन उत्पीड़न का नया स्तर

यह पहली बार नहीं है जब मुस्लिम महिलाओं को ऑनलाइन निशाना बनाया गया है। इससे पहले ‘बुल्ली बाई’ और ‘सुल्ली डील्स’ जैसे मामलों में भी महिलाओं की तस्वीरें बिना उनकी सहमति के ऑनलाइन नीलामी के लिए डाली गई थीं। अब, एआई-जनरेटेड इमेज ने इस अपराध को और आसान और व्यापक बना दिया है। कोई भी व्यक्ति अब बस कुछ कीवर्ड डालकर ऐसी तस्वीरें बना सकता है जो पूरी तरह से वास्तविक लगती हैं।

सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स की निष्क्रियता – जिम्मेदारी से बचने की कोशिश?

सोशल मीडिया कंपनियां अक्सर ‘हेट स्पीच’ और ‘अश्लील सामग्री’ को रोकने के बड़े-बड़े दावे करती हैं, लेकिन इन घटनाओं के सामने आने के बाद उनके दावों की सच्चाई पर सवाल खड़े होते हैं। टेलीग्राम, फेसबुक और इंस्टाग्राम पर ये पेज न केवल खुलेआम चल रहे हैं, बल्कि उनके हजारों फॉलोअर्स भी हैं। इससे स्पष्ट होता है कि या तो इन प्लेटफॉर्म्स की मॉडरेशन प्रणाली विफल हो रही है, या फिर वे इसे रोकने में गंभीर नहीं हैं।

सरकार और समाज की भूमिका – कब होगी कार्रवाई?

तकनीक का यह दुरुपयोग महिलाओं की निजता, सम्मान और सुरक्षा के लिए एक बड़ा खतरा है। यह जरूरी है कि सरकारें इस तरह के अपराधों के खिलाफ कड़े कानून बनाए और सोशल मीडिया कंपनियों को जवाबदेह ठहराए। साथ ही, समाज को भी इस तरह की घटनाओं पर आवाज उठानी होगी और महिलाओं के खिलाफ हो रहे इस डिजिटल उत्पीड़न को रोकने के लिए कदम उठाने होंगे।

निष्कर्ष – क्या यह सिर्फ एक शुरुआत है?

एआई और अन्य डिजिटल टूल्स के विकास के साथ-साथ ऐसे अपराधों का खतरा बढ़ता जा रहा है। यदि इस पर अभी रोक नहीं लगाई गई, तो यह एक व्यापक समस्या का रूप ले सकता है। यह सिर्फ मुस्लिम महिलाओं का मुद्दा नहीं है, बल्कि किसी भी महिला को इस तरह के शोषण का शिकार बनाया जा सकता है।

यह सवाल उठता है कि क्या हम एक ऐसे समाज की ओर बढ़ रहे हैं जहां तकनीक को महिलाओं के खिलाफ हथियार की तरह इस्तेमाल किया जाएगा? यदि नहीं, तो हमें अभी और यहीं इस प्रवृत्ति को रोकने के लिए कदम उठाने होंगे। डिजिटल सुरक्षा और महिलाओं की गरिमा की रक्षा करना न केवल सरकार और सोशल मीडिया कंपनियों की जिम्मेदारी है, बल्कि पूरे समाज का कर्तव्य भी है।

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