मुंबई: 2025 से भारत में जमीन रजिस्ट्रेशन और संपत्ति संबंधी नियमों में बड़े बदलाव किए जा रहे हैं। इन बदलावों का उद्देश्य रियल एस्टेट सेक्टर में पारदर्शिता बढ़ाना, कर चोरी रोकना और पूरी प्रक्रिया को डिजिटल और सुरक्षित बनाना है। ये नियम न केवल जमीन मालिकों और खरीदारों के लिए महत्वपूर्ण हैं, बल्कि किराएदारों और रियल एस्टेट डिवेलपर्स के लिए भी काफी अहम हैं।
कैसे होंगे ये बदलाव फायदेमंद?
इन नए नियमों से रजिस्ट्रेशन प्रक्रिया सरल और तेज होगी। साथ ही, फर्जी रजिस्ट्रेशन और जमीन से जुड़े विवादों पर रोक लगाई जा सकेगी।
आधार कार्ड होगा अनिवार्य
2025 से जमीन रजिस्ट्रेशन के लिए आधार कार्ड दिखाना अनिवार्य होगा। फर्जी रजिस्ट्रेशन रोकने के लिए यह नियम लागू किया जा रहा है। इससे संपत्ति खरीदने-बेचने में पारदर्शिता बढ़ेगी और धोखाधड़ी की घटनाओं में कमी आएगी।
आधार लिंकिंग के फायदे:
- फर्जी दस्तावेजों पर रोक
- संपत्ति की आसानी से सत्यापन
- बेनामी संपत्तियों पर नियंत्रण
- कर चोरी में कमी
यह नियम मालिक और खरीदार की पहचान सुनिश्चित करेगा, जिससे भविष्य में किसी भी तरह के विवादों को टाला जा सकेगा।
रजिस्ट्रेशन प्रक्रिया होगी ऑनलाइन
नए नियमों के अनुसार, पूरी रजिस्ट्रेशन प्रक्रिया ऑनलाइन की जाएगी। इसके लिए एक विशेष पोर्टल शुरू किया जाएगा, जहां लोग अपने दस्तावेज अपलोड करके रजिस्ट्रेशन प्रक्रिया पूरी कर सकेंगे।
ई-स्टांपिंग का होगा उपयोग
2025 से स्टांप पेपर की जगह इलेक्ट्रॉनिक स्टांप का उपयोग किया जाएगा। इससे प्रक्रिया तेज और सुरक्षित होगी। ई-स्टांपिंग फर्जी स्टांप पेपर पर भी रोक लगाएगी।
डिजिटल सिग्नेचर का उपयोग
नए नियमों के तहत रजिस्ट्रार डिजिटल सिग्नेचर का उपयोग करेंगे। यह न केवल प्रक्रिया को तेज बनाएगा, बल्कि दस्तावेजों की सत्यता भी सुनिश्चित करेगा।
डिजिटल सिग्नेचर के फायदे:
- उच्च सुरक्षा
- तेज प्रक्रिया
- रिमोट सत्यापन की सुविधा
- पेपरलेस पद्धति
डिजिटल सिग्नेचर के जरिए दस्तावेजों में किसी भी तरह की छेड़छाड़ की संभावना खत्म हो जाएगी।
नए नियमों का प्रभाव
इन नए नियमों से रियल एस्टेट सेक्टर में पारदर्शिता बढ़ेगी। कर चोरी और फर्जीवाड़े पर रोक लगने से न केवल खरीदार और विक्रेता को फायदा होगा, बल्कि सरकारी राजस्व में भी बढ़ोतरी होगी।