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दिल्ली हाई कोर्ट ने ताहिर हुसैन को नामांकन दाखिल करने के लिए पैरोल दी

दिल्ली हाई कोर्ट ने आगामी विधानसभा चुनावों के लिए ताहिर हुसैन को नामांकन दाखिल करने की अनुमति देते हुए हिरासत पैरोल दी है। उत्तर-पूर्वी दिल्ली दंगों के मुख्य आरोपी ताहिर हुसैन को ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहादुल मुस्लिमीन (AIMIM) ने मुस्तफाबाद से उम्मीदवार बनाया है।

पुलिस की आपत्ति खारिज

सुनवाई के दौरान दिल्ली पुलिस ने ताहिर हुसैन की पैरोल याचिका का विरोध करते हुए उनकी गंभीर संलिप्तता का हवाला दिया। हालांकि, हाई कोर्ट ने इन दलीलों को खारिज करते हुए नामांकन प्रक्रिया पूरी करने के लिए पैरोल की अनुमति दी।

पैरोल की शर्तें

  • ताहिर हुसैन को सार्वजनिक भाषण देने और मीडिया से बातचीत करने से मना किया गया है।
  • वह फोन या इंटरनेट का उपयोग नहीं कर सकते।
  • केवल चुनावी औपचारिकताओं से जुड़े अधिकारियों से ही संपर्क कर सकते हैं।
  • नामांकन के दौरान परिवार के सदस्य मौजूद रह सकते हैं, लेकिन सोशल मीडिया पर तस्वीरें पोस्ट करने या प्रचार की अनुमति नहीं होगी।

अंतरिम जमानत देने से इंकार

कोर्ट ने अंतरिम जमानत की याचिका खारिज कर दी, यह कहते हुए कि ताहिर हुसैन के खिलाफ गंभीर आरोप हैं। अदालत ने माना कि 2020 के दंगों में हुसैन पर साजिश रचने और हिंसा भड़काने के आरोप हैं, जिससे 59 लोगों की मौत हुई थी। उनके राजनीतिक अनुभव को देखते हुए, कोर्ट ने यह भी कहा कि उन्हें जेल से बाहर रहने की अनुमति देना उचित नहीं होगा।

पृष्ठभूमि

ताहिर हुसैन 2020 के उत्तर-पूर्वी दिल्ली दंगों में मुख्य आरोपी हैं। उन पर सांप्रदायिक हिंसा भड़काने और दंगे की साजिश रचने के आरोप हैं। तब से वह जेल में बंद हैं। ताहिर हुसैन ने दिल्ली विधानसभा चुनाव लड़ने के लिए 14 जनवरी से 9 फरवरी तक अंतरिम जमानत की मांग की थी।

चुनावी राजनीति में ताहिर हुसैन की वापसी

AIMIM द्वारा मुस्तफाबाद सीट से ताहिर हुसैन को उम्मीदवार बनाए जाने के बाद, राजनीतिक गलियारों में हलचल मच गई है। हालांकि, कोर्ट के कड़े प्रतिबंधों के चलते उनकी राजनीतिक गतिविधियां सीमित रहेंगी।
ताहिर हुसैन को पैरोल मिलने के बाद, उनकी नामांकन प्रक्रिया पूरी होगी, लेकिन हाई कोर्ट ने उनके खिलाफ गंभीर आरोपों को देखते हुए सख्त शर्तें लगाई हैं। उनकी चुनावी भूमिका को लेकर बहस जारी है।

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