2013 के बलात्कार मामले में आजीवन कारावास की सजा काट रहे स्वयंभू संत आसाराम को राजस्थान हाई कोर्ट से चिकित्सा आधार पर अंतरिम जमानत मिलने के बाद, वह जोधपुर के पाल गांव स्थित अपने आश्रम पहुंचा।
जमानत का निर्णय
राजस्थान हाई कोर्ट ने बीते मंगलवार को आसाराम को 31 मार्च तक अंतरिम जमानत दी। इससे पहले सुप्रीम कोर्ट ने भी चिकित्सा आधार पर इसी अवधि तक राहत दी थी। अदालत ने जमानत के दौरान निर्धारित शर्तों का पालन करने का आदेश दिया है।
स्वास्थ्य कारणों का हवाला
सुप्रीम कोर्ट में आसाराम के वकीलों ने तर्क दिया कि वह कई बीमारियों से पीड़ित है और बेहतर इलाज के लिए उसे जमानत की जरूरत है। उच्च न्यायालय ने यह राहत सुप्रीम कोर्ट में दायर याचिका के आधार पर दी। हालांकि, जमानत के दौरान आसाराम को अगर जोधपुर से बाहर इलाज के लिए जाना होगा, तो उसे पुलिस सुरक्षा का खर्च उठाना होगा।
आश्रम में भव्य स्वागत
आसाराम के अस्पताल से आश्रम लौटने के दौरान बड़ी संख्या में अनुयायी जुटे। अनुयायियों ने फूल-मालाओं से उनका स्वागत किया। वकील निशांत बोरा ने बताया कि इस अवधि के दौरान आसाराम अपनी इच्छानुसार इलाज करा सकेगा।
पीड़िता के परिवार की सुरक्षा बढ़ाई गई
जमानत के फैसले के बाद शाहजहांपुर में पीड़िता के घर की सुरक्षा कड़ी कर दी गई है। पीड़िता के पिता ने परिवार की सुरक्षा पर चिंता व्यक्त की और जमानत के आदेश पर हैरानी जताई। उन्होंने आरोप लगाया कि आसाराम के समर्थकों ने उनके खिलाफ झूठे मुकदमे दर्ज कराए हैं।
पृष्ठभूमि
2013 में जोधपुर के आश्रम में एक नाबालिग लड़की के साथ बलात्कार के आरोप में आसाराम को 2018 में आजीवन कारावास की सजा सुनाई गई थी। अदालत ने इस मामले को गंभीर मानते हुए सख्त फैसला दिया था।
विवाद और प्रतिक्रिया
आसाराम को मिली अंतरिम जमानत ने फिर से विवाद खड़ा कर दिया है। उनके अनुयायियों में खुशी की लहर है, जबकि पीड़िता के परिवार और कई सामाजिक संगठनों ने न्यायिक फैसले पर सवाल उठाए हैं।
सुरक्षा और निगरानी
आसाराम के खिलाफ जारी अन्य मामलों को देखते हुए, पुलिस उनकी गतिविधियों पर निगरानी बनाए हुए है। अदालत ने जमानत की शर्तों का सख्ती से पालन कराने के निर्देश दिए हैं।
निष्कर्ष
चिकित्सा आधार पर मिली यह राहत अस्थायी है। आगे अदालत के निर्णय पर सभी की निगाहें टिकी हैं, जो इस विवादित मामले का भविष्य तय करेगा।