भाजपा का दोगलापन: एक तरफ़ सौगात ए मोदी दूसरी तरफ़ खिलाफ़ है योगी

लखनऊ/मेरठ: एक ओर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी मुस्लिम समुदाय को “सौगात-ए-मोदी” के तहत उपहार बाँट रहे हैं, तो दूसरी ओर उत्तर प्रदेश में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की सरकार ने ईद से पहले सख्त निर्देश जारी कर दिए हैं। मेरठ पुलिस ने अलविदा जुमे और ईद-उल-फितर की नमाज के लिए सड़कों पर किसी भी प्रकार की धार्मिक सभा को प्रतिबंधित कर दिया है।
मेरठ के पुलिस अधीक्षक आयुष विक्रम सिंह ने आदेश जारी करते हुए कहा कि “नमाज केवल मस्जिदों और ईदगाहों में ही अदा की जाए। यदि कोई व्यक्ति सड़क पर नमाज पढ़ते हुए पाया गया, तो उसके खिलाफ कड़ी कानूनी कार्रवाई होगी, जिसमें पासपोर्ट और ड्राइविंग लाइसेंस तक रद्द किया जा सकता है।”
सड़कों पर नमाज के खिलाफ कड़ी कार्रवाई
प्रदेश सरकार ने सड़कों पर नमाज पढ़ने को गंभीर मामला मानते हुए सुरक्षा बलों की तैनाती का निर्णय लिया है। मेरठ में प्रांतीय सशस्त्र बल (PAC) और रैपिड एक्शन फोर्स (RAF) को तैनात किया गया है, जबकि संवेदनशील इलाकों में फ्लैग मार्च भी निकाला जा रहा है।
क्या नमाज पढ़ना अपराध है?
भारतीय कानून के अनुसार, पासपोर्ट अधिनियम, 1967 के तहत पासपोर्ट केवल उन्हीं मामलों में रद्द किया जा सकता है, जब कोई व्यक्ति राष्ट्रीय सुरक्षा के खिलाफ गतिविधियों में संलिप्त हो। इसी तरह, मोटर वाहन अधिनियम, 1988 के तहत ड्राइविंग लाइसेंस केवल गंभीर यातायात उल्लंघन या आपराधिक मामलों में रद्द किया जा सकता है।
संभल के बाद मेरठ में सख्ती, हरियाणा में भी बदला आदेश
मेरठ से पहले संभल में भी प्रशासन ने छतों पर नमाज पढ़ने तक पर पाबंदी लगाई थी। अब हरियाणा के मुख्यमंत्री नायब सिंह सैनी ने एक और कदम आगे बढ़ाते हुए ईद की गजेटेड छुट्टी को रेस्ट्रिक्टेड हॉलिडे में बदल दिया है, यानी अब सभी सरकारी कर्मचारियों को स्वतः छुट्टी नहीं मिलेगी।
सौगात-ए-मोदी बनाम योगी की सख्ती
दिलचस्प बात यह है कि इसी समय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी 32 लाख मुस्लिम परिवारों को तोहफे के रूप में सेवइयाँ, कपड़े, खजूर और ड्राई फ्रूट्स बाँट रहे हैं। इसे भाजपा की मुस्लिम समुदाय के प्रति एक सकारात्मक पहल के रूप में देखा जा रहा था, लेकिन यूपी और हरियाणा सरकार के इन फैसलों से एक अलग ही संदेश जा रहा है।
संविधान का अनुच्छेद 25 भारत के हर नागरिक को अपने धर्म का पालन करने की स्वतंत्रता देता है। यदि सुरक्षा या यातायात कारणों से कोई नियम लागू किए जा रहे हैं, तो उन्हें सभी धर्मों पर समान रूप से लागू किया जाना चाहिए। लेकिन मौजूदा घटनाक्रम पर उठते सवालों से भाजपा की नीयत पर बहस शुरू हो गई है।