हिंदू कसाई समुदाय ने नफ़रती राणे को दिया “झटका”, तय किया कि केवल हलाल मटन ही बेचेंगे

मुंबई: महाराष्ट्र में झटका और हलाल मटन को लेकर नया विवाद खड़ा हो गया है। प्रदेश के मत्स्य पालन मंत्री नितेश राणे के एक बयान के बाद यह मुद्दा और गरमा गया है। उन्होंने कहा था कि हिंदुओं को हलाल नहीं, बल्कि झटका मटन खाना चाहिए। इस बयान के बाद राजनीतिक और सामाजिक हलकों में जोरदार बहस शुरू हो गई है।
मल्हार प्रमाणपत्र को लेकर उठा नया विवाद
नितेश राणे ने हाल ही में ‘मल्हार प्रमाणपत्र’ की घोषणा की है, जिसके तहत केवल झटका मटन बेचने वाली दुकानों को यह प्रमाणपत्र दिया जाएगा। इस पहल का मकसद हिंदू समुदाय को हलाल मटन खाने से बचाने का बताया जा रहा है।
राणे ने कहा, “हिंदू समाज के पास झटका मटन खरीदने का कोई विकल्प नहीं था। हलाल केवल इस्लामी परंपरा का हिस्सा है, हिंदू धर्म में इसका कोई उल्लेख नहीं है। इसलिए हिंदुओं को मल्हार प्रमाणपत्र वाली दुकानों से ही मटन खरीदना चाहिए।”
कसाई समुदाय का कड़ा विरोध
राणे के इस बयान के बाद कसाई समुदाय ने आक्रामक रुख अपनाया है। नासिक में हिंदू कसाई समुदाय की बैठक में फैसला लिया गया कि वे सिर्फ हलाल मटन ही बेचेंगे। इस समुदाय ने किसी भी प्रकार के नए प्रमाणपत्र को स्वीकार करने से इनकार कर दिया है और इस विवाद को जबरन पैदा करने का आरोप लगाया है।
बैठक में तय किया गया कि, “हम केवल हलाल मटन बेचेंगे और किसी के प्रमाणपत्र की जरूरत नहीं है। धार्मिक सद्भाव बिगाड़ने की कोशिशों का हम विरोध करेंगे।”
राजनीतिक दलों में तकरार
इस मुद्दे पर विपक्षी दलों ने भी सरकार पर निशाना साधा है। एनसीपी और शिवसेना (यूबीटी) के नेताओं ने इसे राजनीतिक एजेंडा करार देते हुए कहा कि यह समाज को बांटने की कोशिश है।
हालांकि, बीजेपी और हिंदुत्ववादी संगठनों ने नितेश राणे के इस फैसले का समर्थन किया है और इसे हिंदू समुदाय के लिए एक बड़ा कदम बताया है।
आगे क्या?
मल्हार प्रमाणपत्र की घोषणा के बाद महाराष्ट्र में हलाल बनाम झटका मटन की बहस तेज हो गई है। यह देखना दिलचस्प होगा कि क्या राज्य सरकार इस पर कोई आधिकारिक नीति लाएगी या यह विवाद आगे और बढ़ेगा। फिलहाल, यह मुद्दा राजनीतिक और धार्मिक रूप से बेहद संवेदनशील बन चुका है।