फिल्म ‘फुले’ पर सेंसर बोर्ड की आपत्तियों से बढ़ा विवाद, अनुराग कश्यप ने ब्राह्मणवाद और सरकार पर बोला हमला

मुंबई: अभिनेता प्रतीक गांधी और अभिनेत्री पत्रलेखा की मुख्य भूमिका वाली फिल्म ‘फुले’ अपनी रिलीज से पहले विवादों में घिरती नजर आ रही है। 25 अप्रैल को सिनेमाघरों में रिलीज़ होने जा रही इस फिल्म पर अब सेंट्रल बोर्ड ऑफ फिल्म सर्टिफिकेशन (CBFC) ने आपत्ति जताते हुए कुछ कट्स की मांग की है। ये फिल्म समाजसुधारक ज्योतिबा फुले और सावित्रीबाई फुले के जीवन पर आधारित है।
CBFC की आपत्तियों के बाद मशहूर फिल्ममेकर अनुराग कश्यप ने सोशल मीडिया पर तीखी प्रतिक्रिया दी है। उन्होंने न सिर्फ सेंसर बोर्ड बल्कि ब्राह्मण समाज और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर भी सवाल उठाए हैं।
अनुराग कश्यप का तीखा पोस्ट
अनुराग कश्यप ने अपने पोस्ट में लिखा,
“‘धड़क 2’ की स्क्रीनिंग में सेंसरबोर्ड ने कहा था कि मोदी जी ने भारत में जातिवाद खत्म कर दिया है। उसी आधार पर ‘संतोष’ भी भारत में रिलीज नहीं हुई। अब ब्राह्मणों को ‘फुले’ से दिक्कत है। जब जातिव्यवस्था है ही नहीं, तो ‘ब्राह्मण’ कौन हैं और क्यों नाराज़ हैं?”
कश्यप ने आगे लिखा,
“अगर भारत में कास्ट सिस्टम नहीं है, तो फिर फुले क्यों थे? या फिर सब लोग मिलकर बाकी देशवासियों को पागल बना रहे हैं? तय कर लो कि भारत में जातिवाद है या नहीं। लोग बेवकूफ नहीं हैं। आप ब्राह्मण हो या फिर आपसे ऊपर बैठे आपके बाप लोग? साफ कहो।”
फिल्म की कहानी और महत्व
फुले फिल्म सामाजिक सुधारकों ज्योतिराव फुले और सावित्रीबाई फुले के संघर्षों और भारत में शिक्षा व समानता के लिए किए गए योगदान पर आधारित है। फिल्म का उद्देश्य सामाजिक चेतना को जगाना है, लेकिन इससे पहले ही यह सेंसर और वैचारिक टकराव का मुद्दा बन चुकी है।
रिलीज पर संशय?
CBFC द्वारा की गई आपत्तियों के चलते अब यह सवाल उठने लगा है कि क्या ‘फुले’ तय तारीख को रिलीज हो पाएगी या इसमें और देरी होगी। अनुराग कश्यप की पोस्ट से इस बहस को और हवा मिल गई है, और सोशल मीडिया पर फिल्म को लेकर समर्थन और विरोध दोनों तेवर देखने को मिल रहे हैं।
अब देखना होगा कि सेंसर बोर्ड फिल्म में कितने बदलाव करवाता है और फिल्ममेकर इसका क्या रुख अपनाते हैं।
फिल्म ‘फुले’ का विवाद अब सिर्फ सेंसर तक सीमित नहीं रहा, बल्कि यह एक व्यापक सामाजिक और राजनीतिक बहस का रूप लेता दिख रहा है।