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किराया बढ़ा, यात्री घटे: एसटी को घाटे से उबारने की रणनीति उलटी पड़ी, मार्च में 63 लाख यात्रियों की कमी

मुंबई: महाराष्ट्र राज्य परिवहन निगम (एसटी) को वित्तीय संकट से उबारने के लिए सरकार द्वारा उठाए गए कदमों का उलटा असर होता दिख रहा है। 25 जनवरी को लागू हुई 15% किराया वृद्धि के बाद जहां निगम को राजस्व में बढ़ोतरी की उम्मीद थी, वहीं मार्च 2025 में यात्रियों की संख्या में 6.3 मिलियन (63 लाख) की गिरावट दर्ज की गई है।

राजस्व बढ़ा लेकिन अपेक्षा से कम
पिछले वर्ष मार्च में एसटी की दैनिक आय जहां 24 करोड़ रुपये थी, वहीं इस साल मार्च में यह 27 करोड़ रुपये तक पहुंची। लेकिन यह वृद्धि उम्मीद से कम रही। 15 प्रतिशत किराया बढ़ोतरी के बाद लगभग 4 करोड़ की अतिरिक्त कमाई की आशा थी, लेकिन यात्रियों की कमी के चलते सिर्फ 3 करोड़ रुपये की वृद्धि ही हो सकी।

600 नई गाड़ियाँ भी नहीं बनी सहारा
निगम ने इस वर्ष 600 नई बसें शुरू कीं, लेकिन यात्री वृद्धि में खास अंतर नहीं आया। मार्च 2024 में कुल 12.38 करोड़ यात्री एसटी से सफर कर चुके थे, जबकि मार्च 2025 में यह आंकड़ा घटकर 11.75 करोड़ पर आ गया।

प्रशासनिक सुस्ती और अव्यवस्था जिम्मेदार
सूत्रों के अनुसार, पिछले डेढ़ महीने से निगम के उपाध्यक्ष और प्रबंध निदेशक छुट्टी पर हैं और कार्यवाहक प्रभारी दैनिक परिवहन योजनाओं में सक्रिय नहीं रहे। यात्री आकर्षण के लिए कोई ठोस उपाय नहीं किए गए। यातायात मार्गों की गलत योजना, समानांतर रूट और स्थानीय प्रशासन की निष्क्रियता को गिरावट का मुख्य कारण माना जा रहा है।

पीक सीज़न में भी गिरावट की आशंका
15 अप्रैल से 15 जून का समय एसटी के लिए पीक सीज़न माना जाता है, जब स्कूल की छुट्टियाँ और शादियों के कारण अधिक यात्री सफर करते हैं। लेकिन मार्च में आई गिरावट को देखते हुए वरिष्ठ अधिकारियों को आशंका है कि इस बार पीक सीजन में भी आय प्रभावित हो सकती है।

क्या कहता है यह ट्रेंड?
किराया वृद्धि का निर्णय शायद आर्थिक जरूरतों से प्रेरित था, लेकिन इससे यात्रियों का मोहभंग हुआ। यदि समय रहते यातायात नियोजन, प्रशासनिक सक्रियता, और यात्रियों को सुविधा देने वाले उपाय नहीं किए गए, तो एसटी निगम को और गहरा घाटा उठाना पड़ सकता है।

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