वक्फ कानून के खिलाफ जमीयत उलेमा-ए-हिंद का बड़ा ऐलान: पीएम मोदी को भेजे जाएंगे 1 करोड़ हस्ताक्षर

कोलकाता: प्रमुख मुस्लिम संगठन जमीयत उलेमा-ए-हिंद ने केंद्र सरकार द्वारा पारित नए वक्फ कानून के खिलाफ जोरदार विरोध का ऐलान किया है। कोलकाता के रामलीला मैदान में आयोजित एक विशाल जनसभा में जमीयत के बंगाल चैप्टर ने इस कानून को तत्काल रद्द करने की मांग की और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को एक करोड़ लोगों के हस्ताक्षरों के साथ प्रस्ताव भेजने की कसम खाई।
सभा का नेतृत्व बंगाल के मंत्री और जमीयत नेता सिद्दीकुल्लाह चौधरी ने किया। उन्होंने कहा कि, “हमारा लक्ष्य है कि बंगाल के हर जिले, हर कस्बे से लोगों के हस्ताक्षर जुटाकर उन्हें प्रधानमंत्री तक पहुंचाया जाए। इससे पहले भी जनआंदोलनों से सरकारों ने कानून वापस लिए हैं और इस बार भी हम सफल होंगे।”
क्राउडफंडिंग से लड़ी जाएगी कानूनी लड़ाई
जमीयत ने इस कानून के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में लड़ने के लिए क्राउडफंडिंग अभियान शुरू करने की भी घोषणा की है। अगले सप्ताह सुप्रीम कोर्ट में इस कानून को चुनौती देने वाली कई याचिकाओं पर सुनवाई होनी है। संगठन के स्वयंसेवक घर-घर जाकर हस्ताक्षर जुटाएंगे।
क्यों हो रहा है विरोध?
विवादित वक्फ कानून को हाल ही में संसद ने आधी रात के बाद तक चली बैठकों के दौरान पारित किया। यह कानून वक्फ संपत्तियों के प्रशासन, विवाद निपटारे और सरकारी निगरानी के विस्तार से संबंधित है।
जमीयत के अनुसार, यह कानून संविधान के अनुच्छेद 14, 25 और 26 में दिए गए मौलिक अधिकारों का उल्लंघन करता है। ज्ञापन में कहा गया कि यह वक्फ बोर्डों की स्वायत्तता को कमजोर करता है और नौकरशाहों को अत्यधिक अधिकार देता है, जिससे मुस्लिम समुदाय की धार्मिक स्वतंत्रता प्रभावित होती है।
कई प्रावधानों पर आपत्ति
जमीयत ने खास तौर पर इन प्रावधानों पर आपत्ति जताई है:
- केंद्रीय वक्फ परिषद और राज्य वक्फ बोर्डों में गैर-मुस्लिमों की अनिवार्य भागीदारी।
- राज्य अधिकारी को यह तय करने का अधिकार देना कि कोई संपत्ति वक्फ है या सरकारी।
जमीयत का आरोप है कि सरकार का इरादा वक्फ प्रशासन पर नियंत्रण कर मुस्लिम समुदाय को उनके धार्मिक बंदोबस्त के प्रबंधन से अलग करना है।