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अमेरिकी आयोग का बयान: भारत में मुस्लिम-ईसाइयों पर भेदभाव, RAW पर कार्रवाई की मांग

वॉशिंगटन/नई दिल्ली: अमेरिका के यूनाइटेड स्टेट्स कमीशन ऑन इंटरनेशनल रिलीजियस फ्रीडम (USCIRF) ने 26 मार्च को भारत में धार्मिक स्वतंत्रता को लेकर चिंता जताई है। आयोग ने कहा कि भारत में अल्पसंख्यक समुदायों, विशेष रूप से मुस्लिम और ईसाई समुदायों के साथ भेदभाव और बुरा व्यवहार किया जा रहा है। इसके अलावा, USCIRF ने भारत की खुफिया एजेंसी RAW (रिसर्च एंड एनालिसिस विंग) पर प्रतिबंध लगाने की भी सिफारिश की है, यह दावा करते हुए कि RAW कथित रूप से सिख अलगाववादियों की हत्याओं में शामिल है। हालांकि, इन आरोपों को बेबुनियाद बताया जा रहा है।

भारत की आंतरिक राजनीति में दखल?

USCIRF की यह टिप्पणी भारत की आंतरिक राजनीति और राष्ट्रीय सुरक्षा में हस्तक्षेप के रूप में देखी जा रही है। अमेरिकी आयोग की इस सिफारिश को भारत की संप्रभुता पर सवाल उठाने की कोशिश के रूप में भी देखा जा रहा है। कई विशेषज्ञों का मानना है कि अमेरिका खुद प्रवासियों और अल्पसंख्यकों के मानवाधिकार उल्लंघन को लेकर कई बार आलोचना झेल चुका है, ऐसे में भारत पर टिप्पणी करना उसकी दोहरे मानकों को दर्शाता है।

RAW: भारत की प्रमुख खुफिया एजेंसी

RAW (रिसर्च एंड एनालिसिस विंग) भारत की विदेशी खुफिया एजेंसी है, जिसकी स्थापना 1968 में हुई थी। इसका मुख्य उद्देश्य भारत की राष्ट्रीय सुरक्षा, आतंकवाद विरोधी अभियानों, और विदेशी खुफिया गतिविधियों पर नजर रखना है। RAW विशेष रूप से पाकिस्तान, चीन और अन्य पड़ोसी देशों के खतरों पर नजर रखती है और भारतीय विदेश नीति में अहम भूमिका निभाती है।

क्या ट्रंप लगाएंगे प्रतिबंध?

रॉयटर्स की रिपोर्ट के अनुसार, इस बात की संभावना काफी कम है कि अमेरिकी सरकार RAW पर कोई प्रतिबंध लगाएगी। यह सिफारिश USCIRF की एक राय मात्र है, जिसे लागू करने के लिए बाध्यकारी नहीं माना जाता। विशेषज्ञों का मानना है कि भारत और अमेरिका के बीच रणनीतिक साझेदारी को देखते हुए यह प्रस्ताव महज प्रतीकात्मक है और इसका वास्तविक प्रभाव सीमित होगा।

भारत की प्रतिक्रिया का इंतजार

USCIRF की इस रिपोर्ट पर भारत सरकार की आधिकारिक प्रतिक्रिया का इंतजार है। हालांकि, संभावना है कि भारत अमेरिका के इस बयान को आंतरिक मामलों में हस्तक्षेप करार देकर खारिज कर सकता है

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