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संभाजी महाराज के विरोध में गोलवलकर और सावरकर के लेखन से दंगे नहीं भड़के, लेकिन ‘छावा’ फिल्म से कैसे भड़क गए?

महाराष्ट्र में औरंगजेब की कब्र हटाने की मांग और उससे जुड़ा विवाद लगातार तूल पकड़ रहा है। हिंदू संगठनों की इस मांग को खुद मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस का समर्थन भी मिला है। लेकिन इसी बीच नागपुर में भड़की हिंसा पर सीएम फडणवीस ने एक चौंकाने वाला बयान दिया है। उन्होंने इस हिंसा का ठीकरा मराठी फिल्म ‘छावा’ पर फोड़ दिया, जिससे अब राजनीतिक घमासान मच गया है।

शिवसेना (यूबीटी) का फडणवीस पर वार

शिवसेना (यूबीटी) के मुखपत्र ‘सामना’ ने अपने संपादकीय में सीएम फडणवीस के इस बयान पर तंज कसते हुए कहा कि “अगर नागपुर दंगों के लिए ‘छावा’ फिल्म जिम्मेदार है, तो क्या अब फिल्म के निर्माता, निर्देशक और कलाकारों पर मुकदमा दर्ज किया जाएगा?”

सामना ने यह भी लिखा कि इस फिल्म के खास शो खुद मुख्यमंत्री फडणवीस ने आयोजित किए थे और बीजेपी-आरएसएस के कई कार्यकर्ता ‘छावा’ के प्रचार में भी शामिल थे।

एक फिल्म देखकर दंगे क्यों? सामना का सवाल

संपादकीय में सवाल उठाया गया कि छत्रपति संभाजी महाराज का इतिहास महाराष्ट्र को पहले से ही पता है। उनके बलिदान पर कई ग्रंथ, पुस्तकें और उपन्यास लिखे गए हैं, लेकिन उन्हें पढ़कर कभी दंगे नहीं हुए।

“संघ के गुरु गोलवलकर और वीर सावरकर ने भी अपने लेखन में संभाजी महाराज को लेकर सकारात्मक बातें नहीं लिखीं, फिर भी तब कोई दंगे नहीं हुए। लेकिन अब एक फिल्म देखकर अचानक दंगे क्यों भड़क गए?” सामना ने यह सवाल उठाया।

पाकिस्तान और चीन पर गुस्सा क्यों नहीं?

शिवसेना नेता संजय राउत ने भी सरकार पर निशाना साधते हुए कहा कि “पुलवामा हमले में हमारे 40 जवान शहीद हो गए, लद्दाख में चीन ने हमारे सैनिकों के सिर काट दिए, लेकिन तब विश्व हिंदू परिषद और बजरंग दल के कार्यकर्ता गुस्से में सड़कों पर नहीं उतरे।”

उन्होंने आगे कहा कि “पुलवामा हमले के दौरान नरेंद्र मोदी जिम कॉर्बेट सफारी का आनंद ले रहे थे, लेकिन तब उनका खून नहीं खौला। लेकिन अब ‘छावा’ फिल्म देखने के बाद अचानक लोगों में इतना आक्रोश कहां से आ गया?”

‘महायुति सरकार अपनी नाकामी छिपा रही’

सामना के संपादकीय में कहा गया कि नागपुर में जो दंगे हुए, वे कुरान की आयत लिखी हुई चादर जलाने के कारण भड़के थे। जब यह वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हो रहा था, तब पुलिस और प्रशासन क्या कर रहा था?

“अगर बीजेपी समर्थकों ने एक फिल्म देखकर दंगे भड़काए, तो यह पूरी तरह से पूर्वनियोजित था। इसे ‘साजिश’ कहना अपनी नाकामी पर मुहर लगाने जैसा है।”

महाराष्ट्र की राजनीति गरमाई

इस मुद्दे को लेकर महाराष्ट्र की राजनीति अब गर्मा गई है। जहां बीजेपी और हिंदू संगठन औरंगजेब की कब्र हटाने की मांग पर अड़े हैं, वहीं शिवसेना (यूबीटी) इसे सरकार की नाकामी छिपाने की कोशिश बता रही है। अब देखना होगा कि इस विवाद में आगे क्या मोड़ आता है।

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