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आलिया और ज़वेरीया ने रखा अपनी ज़िंदगी का पहला रोज़ा, परिवार और समाज ने दी शुभकामनाएं

प्रतिनिधि : अशरफ़ अली

कन्नड़ – रोज़े का महत्व केवल इबादत तक सीमित नहीं रहता, बल्कि यह संयम, धैर्य और आत्मसंयम की भी शिक्षा देता है। इसी पवित्र भावना के साथ कन्नड तहसील के हतनूर में आठ वर्षीय आलिया आरिफ और छह वर्षीय ज़वेरीया आरिफ ने अपने जीवन का पहला रोजा रखा।

इन मासूम बच्चियों की हिम्मत और संकल्प को देखते हुए परिवार के सदस्यों, रिश्तेदारों और समाज के लोगों ने उन्हें ढेरों शुभकामनाएं दीं। उनके इस जज़्बे की सराहना करते हुए सभी ने उनकी हौसला-अफजाई की और उनके उज्ज्वल भविष्य की दुआएं मांगी।

परिवार के सदस्यों ने बताया कि अलीया और जावेरीया ने पूरे उत्साह और समर्पण के साथ अपना पहला रोजा पूरा किया। यह नन्ही उम्र में उठाया गया एक बड़ा कदम है, जो यह दर्शाता है कि बच्चों में धार्मिक मूल्यों और परंपराओं के प्रति रुचि जागृत हो रही है।

इस मौके पर घर-परिवार में खुशी का माहौल बना रहा, और सभी ने मिलकर इन बच्चियों की हिम्मत की सराहना की।

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