बाबरी विध्वंस की सराहना करने वाली शिवसेना (UBT) से गठबंधन तोड़ने की मांग: ऑल इंडिया उलेमा बोर्ड का कांग्रेस और एनसीपी को संदेश
ऑल इंडिया उलेमा बोर्ड के राष्ट्रीय महासचिव बुनई हाफिज ने शनिवार को कांग्रेस और शरद पवार की एनसीपी (एनसीपी-एसपी) से शिवसेना (यूबीटी) के साथ गठबंधन समाप्त करने की मांग की। बुनई हाफिज ने कहा कि बाबरी मस्जिद विध्वंस की वर्षगांठ पर शिवसेना (यूबीटी) द्वारा दिए गए बयानों और विज्ञापनों ने मुस्लिम समाज की भावनाओं को ठेस पहुंचाई है।
बोर्ड की प्रमुख आपत्ति
बुनई हाफिज ने आरोप लगाया कि 6 दिसंबर को बाबरी मस्जिद की शहादत की वर्षगांठ पर शिवसेना (यूबीटी) के नेताओं ने अखबारों में विज्ञापन और बैनर के माध्यम से बाबरी मस्जिद विध्वंस के लिए जिम्मेदार लोगों की सराहना की। उन्होंने इसे मुस्लिम समुदाय के जख्मों पर नमक छिड़कने जैसा बताया।
मुस्लिम समाज का समर्थन और योगदान
उलेमा बोर्ड के अनुसार, मुस्लिम समुदाय ने शिवसेना (यूबीटी) को लोकसभा और विधानसभा चुनावों में भरपूर समर्थन दिया। महाराष्ट्र विधानसभा में शिवसेना (यूबीटी) के जो 20 विधायक जीते हैं, वे अधिकांश मुस्लिम बहुल इलाकों से चुने गए। बोर्ड ने कहा कि यह समर्थन मुस्लिम समाज और उनके नेताओं की एकजुटता का परिणाम था।
गठबंधन तोड़ने की मांग
ऑल इंडिया उलेमा बोर्ड ने कांग्रेस और एनसीपी से अपील की कि वे शिवसेना (यूबीटी) के साथ गठबंधन समाप्त करें। बोर्ड ने कहा कि इस घटना ने मुस्लिम समुदाय को आहत किया है, और अब इस गठबंधन के जारी रहने का कोई औचित्य नहीं है।
राजनीतिक हलचल
यह बयान महाराष्ट्र की राजनीति में हलचल पैदा कर सकता है। जहां एक ओर महागठबंधन ने भाजपा और शिवसेना (ईडी) के खिलाफ एक मजबूत मोर्चा तैयार किया है, वहीं इस तरह की मांग गठबंधन में दरार पैदा कर सकती है।
मुस्लिम समाज का संदेश
बुनई हाफिज ने कहा कि मुस्लिम समाज शिवसेना (यूबीटी) के रवैये से आहत है और यह कांग्रेस और एनसीपी के नेतृत्व के लिए एक चेतावनी है। अगर मुस्लिम समाज की भावनाओं का सम्मान नहीं किया गया, तो इसका असर आगामी चुनावों पर पड़ सकता है।
ऑल इंडिया उलेमा बोर्ड की यह मांग महागठबंधन के लिए एक चुनौती है। अब देखना होगा कि कांग्रेस और एनसीपी इस पर क्या रुख अपनाते हैं और क्या यह विवाद गठबंधन के भीतर तनाव पैदा करेगा।