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‘रुपये की चड्डी खिसक गई!’ रुपये की गिरावट को लेकर ठाकरे सेना का मोदी सरकार पर हमला

शिवसेना ने अपने मुखपत्र ‘सामना’ में मोदी सरकार पर तीखा हमला करते हुए रुपये की गिरावट और अर्थव्यवस्था के हालात को लेकर गंभीर सवाल उठाए। शिवसेना का कहना है कि नरेंद्र मोदी ने कांग्रेस के शासनकाल में रुपये के गिरने पर तीखी आलोचना की थी, लेकिन अब जब रुपये की स्थिति और भी खराब हो गई है, तब उनकी सरकार को इस विषय पर कोई चिंता नहीं दिख रही है।

मोदी का पुराना बयान और आज की स्थिति

शिवसेना ने 2013 का उदाहरण दिया, जब नरेंद्र मोदी ने कांग्रेस के शासनकाल में रुपये के अवमूल्यन पर चिंता जताई थी। उस समय रुपये का मूल्य 60 रुपये प्रति डॉलर था। मोदी ने कहा था, “जैसे-जैसे रुपया गिरता है, वैसे-वैसे भारत की प्रतिष्ठा भी गिरती है। कांग्रेस को भारत की प्रतिष्ठा की चिंता नहीं है।” तब उन्होंने रुपये की गिरावट को देश की आर्थिक कमजोरी और प्रतिष्ठा से जोड़ा था।

लेकिन अब जब नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में रुपये की कीमत 87 रुपये प्रति डॉलर तक गिर चुकी है, तो शिवसेना ने सवाल उठाया है कि क्या मोदी और उनकी सरकार अब इस गिरावट को गंभीरता से ले रहे हैं। शिवसेना ने यह कहा कि यदि पहले की स्थिति में रुपये की गिरावट पर इतनी चिंता थी, तो अब जब रुपया 87 तक गिर चुका है, तो सरकार इस पर चुप क्यों है?

फिल्मी हस्तियों की भूमिका पर सवाल

शिवसेना ने फिल्मी हस्तियों का भी जिक्र किया, जो मोदी के अंधभक्त माने जाते हैं। इनमें अक्षय कुमार, अनुपम खेर, जूही चावला जैसे नाम शामिल हैं। 2013 में, जब रुपये की कीमत 60 रुपये प्रति डॉलर थी, जूही चावला ने एक ट्वीट किया था, जिसमें उन्होंने रुपये के गिरने को लेकर मजाक करते हुए लिखा था, “भगवान की कृपा है कि हमारी अंडरवियर का नाम ‘डॉलर’ है, अगर ‘रुपया’ होता तो बार-बार गिरता रहता।”

अब जब रुपये की कीमत 86.60 रुपये प्रति डॉलर तक पहुंच गई है, तो शिवसेना ने पूछा है कि क्या ये फिल्मी हस्तियां अब भी मोदी की सरकार का समर्थन करती हैं या उनकी ‘चड्डी’ अब गिर चुकी है? यह सवाल शिवसेना ने इस संदर्भ में उठाया, जब फिल्मी दुनिया की कई हस्तियों ने पहले मोदी सरकार की तारीफ की थी।

आर्थिक स्थिति पर गंभीर टिप्पणी

शिवसेना ने आगे कहा कि वर्तमान स्थिति में एक डॉलर के मुकाबले 87 रुपये देना भारत की अर्थव्यवस्था की गंभीर स्थिति को दर्शाता है। उन्होंने कहा कि मोदी के शासन में रुपया और भारत की प्रतिष्ठा कांग्रेस के शासन से कहीं ज्यादा गिर चुकी है। इसका मतलब है कि मोदी सरकार के कार्यकाल में भारतीय रुपये की स्थिति और भी कमजोर हुई है, और यह सरकार को चिंतित करने वाली बात है।

शिवसेना ने इस संदर्भ में कहा कि अगर पहले रुपये की गिरावट को लेकर मोदी चिंतित रहते थे, तो अब जब यह गिरावट गंभीर रूप से बढ़ चुकी है, तो मोदी सरकार को इस पर कोई स्पष्ट कदम नहीं उठाना चाहिए। इस समय की स्थिति को गंभीर रूप से लेकर सरकार को सही कदम उठाने की जरूरत है।

निष्कर्ष

शिवसेना ने अपनी आलोचना में कहा कि मोदी सरकार को अब अपने पिछले बयानों की याद दिलानी चाहिए और यह सोचना चाहिए कि जब वे कांग्रेस के समय रुपये की गिरावट को लेकर इतने चिंतित थे, तो आज उनकी सरकार की ओर से कोई स्पष्ट प्रतिक्रिया क्यों नहीं आ रही है। साथ ही, फिल्मी हस्तियों का समर्थन भी सरकार के लिए सवालों के घेरे में है, खासकर जब रुपये की गिरावट इतनी बड़ी समस्या बन चुकी है।

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