अजित पवार का खुलासा: कर्जमाफी अभी संभव नहीं, “किसान चादर देखकर पैर फैलाएं”
पुणे: लोकसभा चुनाव में हार के बाद विधानसभा चुनाव जीतने के लिए शेतकरी कर्जमाफी, बिजली बिल माफी और लाडकी बहन योजना जैसे वादे करने वाली महायुती सरकार अब किसानों से किए गए कर्जमाफी के वादे को भूलती नजर आ रही है। विधानसभा चुनाव के कई महीने बीतने के बावजूद लाखों किसान कर्जमाफी के इंतजार में हैं।
हाल ही में पुणे जिले के दौंड तालुका में एक सभा के दौरान, जब एक नागरिक ने उपमुख्यमंत्री अजित पवार से कर्जमाफी का सवाल किया, तो उनका जवाब किसानों के लिए चौंकाने वाला था। अजित पवार ने पूछा, “क्या आपने मेरे भाषणों में कभी कर्जमाफी का जिक्र सुना है?” उन्होंने कहा कि उन्होंने कभी कर्जमाफी का वादा नहीं किया और “चादर देखकर पैर फैलाने” की सलाह दी। इसका मतलब साफ था कि फिलहाल कर्जमाफी सरकार के एजेंडे पर नहीं है।
सरकार की प्राथमिकताएं और योजनाएं:
भारतीय जनता पार्टी और महायुती के सहयोगी दलों ने अपने घोषणापत्र में कर्जमाफी का वादा किया था। लेकिन नई सरकार के बनने और मंत्रियों के शपथ लेने के तीन-चार हफ्ते बाद भी सरकार इस मुद्दे पर कोई ठोस कदम उठाती नजर नहीं आ रही। अजित पवार, जो राज्य का वित्त विभाग संभालते हैं, ने राज्य की सीमित वित्तीय स्थिति का हवाला देते हुए कहा कि अभी कर्जमाफी संभव नहीं है।
मंत्री हसन मुश्रीफ का बयान:
एक अन्य कार्यक्रम में मंत्री हसन मुश्रीफ ने भी कर्जमाफी पर टिप्पणी की। उन्होंने हंसते हुए कहा कि “लाडकी बहन योजना, तीन सिलेंडर योजना, और लड़कियों की मुफ्त शिक्षा जैसी योजनाएं बंद नहीं होंगी। लेकिन कर्जमाफी अगले विधानसभा चुनाव से पहले की जाएगी।”
राजनीतिक रणनीति पर सवाल:
मुश्रीफ के इस बयान से यह संकेत मिलता है कि सरकार अगले चुनाव के करीब कर्जमाफी का ऐलान कर इसका राजनीतिक लाभ उठाने की योजना बना रही है। हालांकि, किसानों को फिलहाल राहत न मिलना उनके लिए निराशाजनक है और इससे महायुती सरकार को समर्थन देने वाले किसानों में असंतोष बढ़ सकता है।
किसानों की नाराजगी:
अजित पवार और हसन मुश्रीफ के बयानों से शेतकरी वर्ग को बड़ा झटका लगा है। सरकार से अपने वादों पर अमल की उम्मीद लगाए बैठे किसान अब खुद को ठगा हुआ महसूस कर रहे हैं।