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नाबालिग छात्राओं को बनाते थे शिकार, अनगिनत मासूमों को किया तार–तार, अब पॉक्सो कोर्ट में फैसले का इंतजार!

राजस्थान के बिजयनगर में नाबालिग छात्राओं के साथ दुष्कर्म का मामला इन दिनों सुर्खियों में है। इसी क्रम में, तीन साल पहले जनवरी 2022 में धरियावद में भी एक ऐसी ही घटना सामने आई थी, जिसमें पॉक्सो कोर्ट में जल्द फैसला आने की उम्मीद है। इस मामले में 7 आरोपियों ने एक नाबालिग बच्ची के साथ सामूहिक दुष्कर्म किया और उसकी वीडियो बनाई। पीड़िता ने वीडियो न बनाने की गुहार लगाई, लेकिन आरोपियों ने उसकी एक न सुनी और लगातार मारपीट और दुष्कर्म करते रहे।

घटना का विवरण

तीन साल पहले, 7 आरोपियों ने पीड़िता को एक सुनसान इलाके में ले जाकर उसके साथ बारी-बारी से दुष्कर्म किया। इस दौरान एक आरोपी हाईवे पर नजर रखता, दूसरा वीडियो बनाता, तीसरा लड़की को पकड़ता और चौथा दुष्कर्म करता। आरोपियों ने पीड़िता को धमकी दी कि अगर उसने किसी को बताया तो वीडियो वायरल कर दी जाएगी। इस डर के कारण पीड़िता और उसके परिवार ने तुरंत शिकायत दर्ज नहीं कराई। हालांकि, एसपी के समझाने पर दो पीड़िताओं ने एफआईआर दर्ज कराई।

आरोपियों की पहचान और गतिविधियां

आरोपियों ने मौज-मस्ती के लिए एक गैंग बनाई थी। दिन में वे सब्जी की रेड़ी लगाते या मजदूरी करते, शाम को जिम जाते और रात में पेट्रोल पंप के पास शराब पार्टी करते। इसके बाद वे महिलाओं का पीछा करते, उन्हें सुनसान इलाके में ले जाकर दुष्कर्म करते और वीडियो बनाते। आरोपियों में दो सगे भाई पुष्कर और दीपक भी शामिल हैं, जिनकी छोटी बच्चियां भी हैं। अन्य आरोपियों में दीपक कीर, उमेश कीर, इरफान, प्रकाश मीना और जमना शंकर मीना शामिल हैं।

अदालती कार्यवाही

इस मामले में अंतिम सुनवाई का दौर चल रहा है। अभियोजन पक्ष की ओर से विशिष्ट लोक अभियोजक तरुण दास बैरागी पैरवी कर रहे हैं, जिन्होंने अब तक 135 से अधिक दस्तावेज और सबूत अदालत में पेश किए हैं। हाईकोर्ट में आरोपियों की जमानत याचिकाएं खारिज हो चुकी हैं। पीड़िताओं का दर्द सुनकर जज की आंखों में भी आंसू आ गए। पॉक्सो अदालत में अभियोजन पक्ष की पैरवी पूरी हो चुकी है और 145 से अधिक दस्तावेज और गवाह पेश किए गए हैं। अब मुलजिमों के बयान दर्ज किए जाएंगे। न्यायाधीश डॉ. प्रभात अग्रवाल की अदालत में सुनवाई जारी है।

यह मामला न केवल नाबालिगों के साथ हो रहे अपराधों की गंभीरता को उजागर करता है, बल्कि पीड़िताओं को न्याय दिलाने की जरूरत को भी रेखांकित करता है। पॉक्सो कोर्ट में जल्द फैसले की उम्मीद है, जो समाज में ऐसे अपराधों के खिलाफ एक सख्त संदेश देगा।

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