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वक्फ संशोधन विधेयक पर इमरान मसूद का हमला – वक्फ बोर्ड में गैर-मुस्लिमों का बहुमत, तो काशी विश्वनाथ ट्रस्ट में क्यों नहीं?

सहारनपुर: सहारनपुर के सांसद और कांग्रेस नेता इमरान मसूद ने वक्फ संशोधन विधेयक 2025 पर सरकार को घेरा और इसे संविधान के खिलाफ बताया। उन्होंने आरोप लगाया कि यह विधेयक सहिष्णुता और विविधता को कमजोर करने की साजिश है।

‘संविधान सभी को संरक्षण की गारंटी देता है’

इमरान मसूद ने कहा कि यह विधेयक बाबा साहेब भीमराव आंबेडकर के बनाए संविधान के खिलाफ है।
“संविधान सभी नागरिकों को समानता और संरक्षण की गारंटी देता है। भीमराव आंबेडकर का कहना था कि राजनीतिक लोकतंत्र तब तक मजबूत नहीं हो सकता, जब तक उसकी जड़ें सामाजिक लोकतंत्र में न हों।”

उन्होंने सरकार पर निशाना साधते हुए कहा कि वक्फ विधेयक का मसौदा तैयार करने वालों को इसकी मूल अवधारणा की समझ तक नहीं है।
“इस बिल को ड्राफ्ट करने वाले 90% लोग यह भी नहीं जानते कि पाकी और नापाकी क्या होती है। यह बात सिर्फ मुसलमान ही समझ सकते हैं कि उनकी क्या जरूरतें हैं।”

‘वक्फ बोर्ड में गैर-मुस्लिमों का बहुमत क्यों?’

इमरान मसूद ने वक्फ बोर्ड के प्रस्तावित ढांचे पर भी सवाल उठाए।
“वक्फ बोर्ड में 22 मेंबर होंगे, जिनमें से सिर्फ 10 मुसलमान होंगे। यानी बोर्ड में गैर-मुस्लिमों का बहुमत होगा। यह कैसी व्यवस्था है? क्या काशी विश्वनाथ ट्रस्ट में भी ऐसा ही बदलाव किया जाएगा?”

उन्होंने सवाल उठाया कि काशी विश्वनाथ ट्रस्ट में नियम है कि डीएम पदेन अधिकारी होगा, लेकिन अगर डीएम मुस्लिम होगा, तो उसे हटा दिया जाएगा।
“अगर दूसरे धार्मिक ट्रस्ट में धर्म के आधार पर निर्णय लिए जा सकते हैं, तो फिर वक्फ बोर्ड में गैर-मुस्लिमों को शामिल करने की क्या तुक है?”

‘विवादित संपत्तियों को वक्फ संपत्ति से बाहर किया जा रहा है’

इमरान मसूद ने वक्फ संपत्तियों को लेकर नए विधेयक में किए गए बदलावों पर कड़ा विरोध जताया। उन्होंने बताया कि नए बिल के अनुसार, सिर्फ वे संपत्तियां वक्फ बोर्ड के अधिकार में होंगी, जो पूरी तरह विवादमुक्त होंगी।
“उत्तर प्रदेश में 1,15,000 हेक्टेयर वक्फ भूमि को सरकारी घोषित कर दिया गया है और इन पर विवाद बना हुआ है। अब नए कानून के तहत ये संपत्तियां वक्फ की नहीं रह जाएंगी।”

उन्होंने इस विधेयक के सबसे विवादित प्रावधान की ओर इशारा करते हुए कहा,
“अब वक्फ संपत्तियों पर चल रहे विवादों को ट्राइब्यूनल से बाहर कर दिया गया है, लेकिन यह नहीं बताया गया कि सक्षम अधिकारी कब तक फैसला देंगे। इससे सरकार को इन संपत्तियों पर कब्जा करने का खुला मौका मिल जाएगा।”

‘कोई और ट्रस्ट बताएं, जिसमें दूसरे धर्म के लोग मेंबर हों’

इमरान मसूद ने सरकार पर दोहरे मापदंड अपनाने का आरोप लगाते हुए कहा,
“अगर सरकार धर्मनिरपेक्षता की बात कर रही है, तो बताइए कि किसी और धार्मिक ट्रस्ट में दूसरे धर्म के लोगों की एंट्री है? क्या गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी, मंदिर ट्रस्ट या चर्च के प्रबंधन में बाहरी लोगों को जोड़ा जाता है?”

‘हमें सौगात-ए-मोदी नहीं, बराबरी का हक चाहिए’

सरकार पर तंज कसते हुए उन्होंने कहा,
“हमें सौगात-ए-मोदी के रूप में ईद की सेवाइयां नहीं चाहिए। हमें वो सौगात चाहिए जिससे हमारे सीने पर गोलियां न मारी जाएं। हमें समानता का अधिकार चाहिए, न कि वक्फ संपत्तियों को छीनने वाला कानून।”

सरकार का दावा – ‘विधेयक मुस्लिम हित में है’

गौरतलब है कि 2 अप्रैल 2025 को लोकसभा में वक्फ संशोधन विधेयक पेश किया गया। सरकार का दावा है कि यह विधेयक मुसलमानों के हित में है और पारदर्शिता बढ़ाने के लिए लाया गया है। हालांकि, विपक्ष इसे मुस्लिम समुदाय के खिलाफ साजिश बता रहा है।

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