चलचित्र से चलचरित्र: ममता कुलकर्णी बनीं किन्नर अखाड़े की महामंडलेश्वर, संतों के बीच छिड़ा विवाद

बॉलीवुड की मशहूर अदाकारा ममता कुलकर्णी, जो अपनी खूबसूरती और बोल्डनेस के लिए जानी जाती थीं, अब आध्यात्मिक जीवन अपना चुकी हैं। उन्होंने किन्नर अखाड़े की महामंडलेश्वर पदवी ग्रहण कर ली है। किन्नर अखाड़े की अध्यक्ष लक्ष्मी नारायण त्रिपाठी ने उन्हें दीक्षा दी, जिसके बाद उनका नया नाम श्रीयामाई ममता नंद गिरि रखा गया है।
महामंडलेश्वर बनने पर संतों में मतभेद
ममता कुलकर्णी के महामंडलेश्वर बनने के बाद साधु-संतों के बीच विवाद खड़ा हो गया है। कुछ संतों का कहना है कि संत बनने से पहले व्यक्ति के चरित्र और जीवनशैली का आकलन जरूरी है, जबकि कुछ संतों का मानना है कि संन्यास लेने का अधिकार सभी को है, भले ही वह किसी भी पेशे से रहे हों।
विरोध में संतों के बयान:
- शांभवी पीठाधीश्वर आनंद स्वरूप महाराज ने इस पर कड़ी प्रतिक्रिया दी। उन्होंने कहा, “किन्नर अखाड़े को मान्यता देकर पहले ही महापाप हुआ था। अब अनुशासनहीनता की घटनाएं सनातन धर्म के लिए घातक हैं। यह धर्म के साथ छल है।”
- महामंडलेश्वर बालकानंद जी महाराज का कहना है कि, “महामंडलेश्वर पद के लिए व्यक्ति के चरित्र और जीवनशैली को देखना जरूरी है। केवल प्रसिद्धि के आधार पर किसी को संत नहीं बनाया जा सकता।”
समर्थन में संतों के बयान:
- अखाड़ा परिषद के अध्यक्ष रविंद्र पुरी महाराज ने इस फैसले का स्वागत करते हुए कहा, “वैराग्य कभी भी आ सकता है। कई संत पहले डाकू थे, लेकिन बाद में आध्यात्मिक मार्ग पर चल पड़े। ममता जी का अध्यात्म में आना एक शुभ संकेत है।”
- जूना अखाड़े के अंतरराष्ट्रीय प्रवक्ता नारायण गिरी जी महाराज ने कहा, “फिल्म अभिनेत्री होना कोई दोष नहीं है। योग्यता के आधार पर महामंडलेश्वर की पदवी दी जा सकती है। इतिहास में एक वैश्या को भी गुरु बनाया गया था।”
ममता कुलकर्णी की नई आध्यात्मिक यात्रा
ममता कुलकर्णी, जिन्होंने अपने फिल्मी करियर में कई हिट फिल्में दी हैं, अब संन्यास का जीवन अपना चुकी हैं। आध्यात्मिक जगत में उनकी इस नई शुरुआत पर संत समाज में भले ही मतभेद हो, लेकिन कई लोग इसे सकारात्मक कदम मान रहे हैं।