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भारत का विदेशी कर्ज 711.8 अरब डॉलर तक पहुंचा: प्रत्येक नागरिक पर $490 का भार

भारत का विदेशी कर्ज सितंबर 2024 में बढ़कर 711.8 अरब डॉलर हो गया, जो जून 2024 की तुलना में 4.3% अधिक है। वित्त मंत्रालय द्वारा जारी रिपोर्ट के अनुसार, पिछले वर्ष सितंबर 2023 में यह कर्ज 637.1 अरब डॉलर था।

विदेशी कर्ज का अनुपात

सितंबर 2024 में विदेशी कर्ज और जीडीपी का अनुपात बढ़कर 19.4% हो गया, जबकि जून 2024 में यह 18.8% था। मौजूदा आंकड़ों के आधार पर, भारत की 145 करोड़ की आबादी में हर व्यक्ति पर औसतन 490 डॉलर का कर्ज है।

कर्ज का स्वरूप

रिपोर्ट के अनुसार, भारत के कुल विदेशी कर्ज में:

  • 53.4% कर्ज अमेरिकी डॉलर में है।
  • 31.2% कर्ज भारतीय रुपये में है।
  • जापानी येन, एसडीआर और यूरो की हिस्सेदारी क्रमशः 6.6%, 5% और 3% है।

बाह्य कर्ज में सबसे बड़ा घटक सामान्य ऋण रहा, जिसकी हिस्सेदारी 33.7% है। इसके बाद मुद्रा और जमा (23.1%), व्यापार ऋण और अग्रिम (18.3%) और ऋण प्रतिभूतियां (17.2%) शामिल हैं।

ब्याज भुगतान में मामूली वृद्धि

सितंबर 2024 के अंत तक मूल राशि और ब्याज भुगतान का अनुपात वर्तमान प्राप्तियों का 6.7% रहा, जो जून 2024 में 6.6% था।

विशेषज्ञों की राय

विशेषज्ञों का कहना है कि बढ़ता विदेशी कर्ज अर्थव्यवस्था के लिए सतर्कता का संकेत है। हालांकि, भारत की जीडीपी वृद्धि दर को देखते हुए यह अनुपात फिलहाल प्रबंधनीय है।

सरकार के प्रयास

वित्त मंत्रालय का कहना है कि केंद्र और राज्य सरकारों के साथ-साथ गैर-सरकारी क्षेत्रों का बकाया ऋण सितंबर 2024 में बढ़ा है। सरकार विदेशी कर्ज पर नियंत्रण रखने और आर्थिक स्थिरता बनाए रखने के लिए सक्रिय कदम उठा रही है।

निष्कर्ष

बढ़ते विदेशी कर्ज के बीच, भारत को अपने आर्थिक ढांचे को मजबूत करने और घरेलू निवेश बढ़ाने की आवश्यकता है ताकि विदेशी निर्भरता कम हो सके।

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