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महाकुंभ मेले पर इम्तियाज जलील का बयान, “यह सिर्फ धार्मिक आयोजन नहीं है…”

प्रयागराज में 13 जनवरी से शुरू हो रहे महाकुंभ को लेकर एआईएमआईएम के नेता इम्तियाज जलील ने बड़ा बयान दिया है। उन्होंने महाकुंभ में मुस्लिमों की भागीदारी और उसकी समरसता पर जोर दिया।

इम्तियाज जलील ने कहा, “महाकुंभ सिर्फ धार्मिक रीति-रिवाजों का आयोजन नहीं है। यह एक ऐसा बड़ा मेला है जहां हर वर्ग के लोग रोजी-रोटी कमाने आते हैं। यहां कोई फूल बेचता है, कोई नारियल, तो कोई अन्य वस्तुएं। यह आयोजन सभी को साथ लाने का काम करता है।”

उन्होंने महाकुंभ और उर्स की तुलना करते हुए कहा, “जैसे उर्स में हम किसी से उसकी जाति या धर्म नहीं पूछते और सभी का खुले दिल से स्वागत करते हैं, वैसे ही महाकुंभ भी सभी के लिए है। यह आयोजन न केवल धार्मिक बल्कि सामाजिक और आर्थिक दृष्टि से भी महत्वपूर्ण है।”

महाकुंभ में मुस्लिमों की भूमिका:
महाकुंभ को लेकर जलील ने इस बात पर भी जोर दिया कि इसमें मुस्लिम समुदाय के लोग भी अपनी भूमिका निभाते हैं। उन्होंने कहा कि मेले में स्टॉल लगाने वाले गरीब तबके के लोग होते हैं, जिनमें मुस्लिम समुदाय के लोग भी शामिल होते हैं। यह आयोजन उन्हें अपनी रोजी-रोटी कमाने का एक बड़ा मौका देता है।

महाकुंभ की विशेषता:
महाकुंभ न केवल धार्मिक आयोजन है, बल्कि यह भारत की समृद्ध संस्कृति और परंपरा को दर्शाने वाला उत्सव है। यहां विभिन्न धर्मों और समुदायों के लोग आते हैं, जो इसे एक समावेशी आयोजन बनाते हैं। इम्तियाज जलील के बयान ने महाकुंभ की इसी समरसता को उजागर किया है।

सामाजिक समरसता का प्रतीक:
जलील का यह बयान उस समय आया है, जब प्रयागराज में महाकुंभ को लेकर पूरे देश में उत्साह है। उनका कहना है कि महाकुंभ जैसे आयोजनों में भागीदारी से समाज में एकता और भाईचारे का संदेश जाता है।

महाकुंभ में मुस्लिम समुदाय की भागीदारी और उनके योगदान पर दिए गए जलील के बयान ने इस आयोजन को लेकर एक नई सोच को जन्म दिया है। यह महज धार्मिक आयोजन न होकर समाज के हर वर्ग के लिए एक महत्वपूर्ण मंच है।

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