AurangabadBreaking News

औरंगाबाद में लिंगानुपात: 1000 लड़कों पर केवल 910 लड़कियां, जिला स्वास्थ्य अधिकारी ने जताई चिंता

औरंगाबाद: आज हम 21वीं सदी में हैं, जो आधुनिक युग कहलाता है। इसके बावजूद समाज में कई लोग बेटियों को बोझ समझते हैं और वंश चलाने के लिए केवल बेटे की चाह रखते हैं। इसी मानसिकता के कारण बेटियों की संख्या में लगातार गिरावट देखी जा रही है। औरंगाबाद जिले में भी ऐसी ही स्थिति बनी हुई है। जिले में लड़कियों का जन्मदर प्रति 1000 लड़कों पर 20 अंक कम हो गया है। इस संबंध में जिला स्वास्थ्य अधिकारी डॉ. अभय धानोरकर ने जानकारी दी है।

2025 की शुरुआत में जन्मदर में आई गिरावट
डॉ. अभय धानोरकर के अनुसार, जिले में लड़कियों का जन्मदर 2024 की तुलना में 2025 की शुरुआत में काफी घट गया है। वर्तमान में प्रति 1000 लड़कों पर केवल 910 लड़कियां हैं, जो बेहद चिंताजनक स्थिति है। उन्होंने कहा कि लड़कियों की संख्या बढ़ाना आवश्यक है, और इसके लिए समाज को एकजुट होकर प्रयास करने की जरूरत है।

लिंग परीक्षण पर रोक और सरकारी इनाम की घोषणा
उन्होंने अपील की कि लिंग परीक्षण नहीं कराना चाहिए और यदि कहीं भी गर्भ लिंग परीक्षण किए जाने की सूचना मिले, तो तुरंत पुलिस को सूचित किया जाए। सरकार ने इस तरह की सूचना देने वालों के लिए 1 लाख रुपये के इनाम की घोषणा की है। यदि किसी को गर्भलिंग परीक्षण की जानकारी मिलती है, तो उसे तुरंत पुलिस से संपर्क करना चाहिए।

ग्रामीण क्षेत्रों में बेहतर स्थिति
शहरी क्षेत्रों की तुलना में ग्रामीण इलाकों में लड़कियों का जन्मदर बेहतर है। इस पर जोर देते हुए डॉ. धानोरकर ने कहा कि समाज को जागरूक होकर बेटियों को समान अवसर देने की दिशा में काम करना चाहिए।

तालुकानुसार लिंगानुपात के आंकड़े
उन्होंने बताया कि जनवरी से दिसंबर 2024 तक की रिपोर्ट के अनुसार, औरंगाबाद, फुलंब्री और सोयगांव को छोड़कर बाकी सभी तालुकों में जन्म के समय लड़कियों का अनुपात 910 से भी कम दर्ज किया गया है।

जिला स्वास्थ्य अधिकारी ने लोगों से अपील की है कि वे लिंग परीक्षण रोकने और बेटियों को बढ़ावा देने में प्रशासन का सहयोग करें, ताकि समाज में बेटा-बेटी समानता को बढ़ावा दिया जा सके।

Leave a Reply

Back to top button