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दिल्ली विधानसभा चुनाव: बड़ी पार्टियों के बीच छोटे दल भी आजमा रहे हैं किस्मत

दिल्ली विधानसभा चुनाव की सरगर्मी तेज हो गई है। जहां एक ओर आम आदमी पार्टी (AAP) और भारतीय जनता पार्टी (BJP) के बीच सत्ता की लड़ाई जारी है, वहीं कांग्रेस भी त्रिकोणीय मुकाबले के लिए पूरी ताकत झोंक रही है। इस चुनाव में छोटे दल भी अपनी उपस्थिति दर्ज कराने के लिए कमर कस चुके हैं। बसपा, AIMIM और अजित पवार की एनसीपी समेत कई छोटी पार्टियां मैदान में उतर चुकी हैं।

699 उम्मीदवार मैदान में, बीजेपी-आप-कांग्रेस के अलावा 29 पार्टियां भी रेस में
इस बार दिल्ली की 70 विधानसभा सीटों पर कुल 699 उम्मीदवार अपनी किस्मत आजमा रहे हैं। आम आदमी पार्टी और कांग्रेस ने सभी 70 सीटों पर प्रत्याशी उतारे हैं, जबकि बीजेपी 68 सीटों पर चुनाव लड़ रही है और दो सीटें अपने सहयोगी दलों—जेडीयू और एलजेपी—को दी हैं।

छोटी पार्टियों ने बढ़ाई प्रमुख दलों की टेंशन
दिल्ली चुनाव में इस बार बसपा 69 सीटों पर, AIMIM 2 सीटों पर, और एनसीपी 30 सीटों पर चुनाव लड़ रही है। AIMIM ने मुस्तफाबाद और ओखला सीटों पर जेल में बंद प्रत्याशियों को मैदान में उतारा है, वहीं बसपा ने दलित और मुस्लिम बहुल सीटों पर नए राजनीतिक प्रयोग किए हैं।

दिल्ली में ‘नई’ पार्टियों की भी जोर-आजमाइश
दिल्ली चुनाव में कई अनसुनी पार्टियां भी भाग्य आजमा रही हैं। गरीब आदमी पार्टी, आम आदमी संघर्ष पार्टी (एस), सम्राट मिहिर भोज समाज पार्टी, आपकी अपनी पार्टी, समता पार्टी, नवरंग कांग्रेस पार्टी, रिपब्लिक सेना और असंख्य समाज पार्टी जैसी 29 से ज्यादा छोटी पार्टियां चुनाव मैदान में हैं।

क्या छोटे दल कर पाएंगे बड़ा कमाल?
दिल्ली की राजनीति में पहले निर्दलीय और क्षेत्रीय दलों का दबदबा देखने को मिला था, लेकिन अरविंद केजरीवाल के उदय के बाद यह मुकाबला AAP और BJP के बीच सिमट गया है। 1993 से लेकर 2013 तक निर्दलीय और छोटे दलों के उम्मीदवार विधानसभा में जगह बनाते रहे हैं। हालांकि, पिछले कुछ चुनावों में यह सिलसिला थम गया है।

इस बार देखना होगा कि क्या छोटे दल दिल्ली की राजनीति में कोई बड़ा उलटफेर कर पाएंगे या फिर चुनावी मुकाबला सिर्फ तीन बड़ी पार्टियों तक ही सीमित रहेगा।

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