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वक्फ कानून पर बढ़ते विवाद के बीच केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में दाखिल की कैविएट, 15 अप्रैल को सुनवाई की संभावना

वक्फ (संशोधन) अधिनियम 2025 को लेकर देश में मचा सियासी घमासान अब सुप्रीम कोर्ट तक पहुंच गया है। मुस्लिम संगठनों की ओर से इस कानून की संवैधानिक वैधता को चुनौती दी गई है। इस बीच केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में एक कैविएट दाखिल कर कोर्ट से आग्रह किया है कि वक्फ कानून पर किसी भी याचिका पर फैसला सुनाने से पहले सरकार की बात जरूर सुनी जाए।

क्या है कैविएट और क्यों जरूरी हुई?
कैविएट एक कानूनी प्रक्रिया है जिसके तहत कोई भी पक्ष कोर्ट को सूचित करता है कि उसके विरुद्ध दायर याचिका पर कोर्ट कोई एकतरफा निर्णय न ले। केंद्र सरकार का कहना है कि वक्फ कानून सोच-समझकर देशहित में बनाया गया है, ऐसे में सुप्रीम कोर्ट इसपर कोई भी अंतरिम आदेश पारित करने से पहले उसका पक्ष अवश्य सुने।

क्या है वक्फ (संशोधन) अधिनियम 2025?
इस अधिनियम को हाल ही में संसद में पास किया गया था और राष्ट्रपति ने 5 अप्रैल को इसे मंजूरी दी। इसका उद्देश्य वक्फ बोर्ड की कार्यप्रणाली को पारदर्शी और संपत्तियों के प्रबंधन को बेहतर बनाना है। सरकार का दावा है कि इससे वक्फ संपत्तियों का दुरुपयोग रुकेगा, लेकिन कुछ मुस्लिम संगठन इसे समुदाय के अधिकारों पर हमला मान रहे हैं।

कौन-कौन सुप्रीम कोर्ट पहुंचा?
वक्फ संशोधन कानून के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड, जमीयत उलमा-ए-हिंद, और कई अन्य संस्थाओं ने याचिकाएं दायर की हैं। इनका आरोप है कि यह कानून संविधान में दिए गए धार्मिक स्वतंत्रता और समानता के अधिकारों का उल्लंघन करता है।

क्या है आगे की प्रक्रिया?
इस पूरे मामले की सुनवाई 15 अप्रैल को सुप्रीम कोर्ट में संभावित है। चीफ जस्टिस संजीव खन्ना की बेंच ने 7 अप्रैल को मामले की जल्द सुनवाई का आश्वासन याचिकाकर्ता वकील कपिल सिब्बल को दिया था।

सरकार का पक्ष:
सरकार का साफ कहना है कि वक्फ कानून के पीछे की मंशा सकारात्मक है और इसका मकसद केवल वक्फ संपत्तियों की रक्षा और सही उपयोग सुनिश्चित करना है। वह चाहती है कि कोर्ट इस कानून के बारे में पूरी जानकारी और तथ्यों को सुनने के बाद ही कोई निर्णय ले।

वक्फ (संशोधन) अधिनियम 2025 पर जारी बहस अब न्यायिक कसौटी पर है। अब देखना होगा कि सुप्रीम कोर्ट इस कानून पर क्या रुख अपनाता है और क्या सरकार की दलीलों को सुनकर कोई अंतरिम राहत या आदेश जारी करता है।

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