इतिहासकार ने किया बड़ा खुलासा, राणा सांगा ने क्यों दिया था बाबर को न्योता?

राज्यसभा में सपा सांसद के बयान से मचा बवाल, राजपूत समाज में आक्रोश
समाजवादी पार्टी के राज्यसभा सांसद रामजी लाल सुमन के बयान ने सियासी हलचल मचा दी है। उन्होंने सदन में राणा सांगा को “गद्दार” कह दिया, जिसके बाद राजपूत समाज समेत विभिन्न संगठनों ने तीखा विरोध जताया है। इस बयान को राजपूत इतिहास का अपमान बताया जा रहा है।
इतिहासकार रुचिका शर्मा का दावा
विवाद के बीच इतिहासकार रुचिका शर्मा का बयान सामने आया है, जिसमें उन्होंने कहा कि ‘बाबरनामा’ में स्पष्ट उल्लेख है कि राणा सांगा ने ही बाबर को भारत आने का न्योता दिया था। उनका उद्देश्य था कि बाबर इब्राहिम लोदी को हराए और दिल्ली पर कब्जा करने में उनकी मदद करे। शर्मा के मुताबिक, “राणा सांगा चाहते थे कि दिल्ली पर राजपूतों का शासन हो, और बाबर के लौटने के बाद वे सत्ता संभालेंगे।”
खानवा की लड़ाई और टूटा भरोसा
हालांकि, योजना के विपरीत बाबर ने दिल्ली पर दावा छोड़ने से इनकार कर दिया और 1527 में राणा सांगा और बाबर के बीच खानवा की ऐतिहासिक लड़ाई हुई। राणा सांगा ने वीरता से युद्ध लड़ा, लेकिन बाबर की तोपों और आधुनिक सैन्य रणनीति के सामने हार का सामना करना पड़ा।
रामजी सुमन का बयान
रामजी सुमन ने राज्यसभा में कहा, “अगर मुसलमान बाबर की औलाद हैं, तो तुम लोग गद्दार राणा सांगा की औलाद हो। बाबर को भारत लाने वाला कौन था? राणा सांगा ही थे।” उनके इस बयान के बाद भाजपा समेत कई दलों ने विरोध दर्ज कराया और बयान को वापस लेने की मांग की।
मामले पर बढ़ती सियासत
राजपूत समाज और विपक्षी दलों ने इस बयान को राजनीतिक अपमान बताते हुए प्रदर्शन शुरू कर दिए हैं। सोशल मीडिया पर #RanaSanga ट्रेंड कर रहा है, और लोगों की मांग है कि ऐतिहासिक व्यक्तित्वों को राजनीतिक बहसों में घसीटना बंद किया जाए।