महात्मा फुले और तिलक के बीच शिवाजी महाराज की समाधि खोज को लेकर विवाद, बहुजन समाज का धरना प्रदर्शन
यवतमाल : रायगढ़ पर स्थित छत्रपति शिवाजी महाराज की समाधि को सबसे पहले महात्मा ज्योतिबा फुले ने खोजा था। इस संबंध में दस्तावेज़ भी उपलब्ध हैं, और खुद महात्मा फुले ने ‘दिनबंधु’ पत्रिका में इस बात का उल्लेख किया था। इसके बावजूद, यह गलत जानकारी दी जा रही है कि छत्रपति शिवाजी महाराज की समाधि को लोकमान्य तिलक ने खोजा था। फुले, शाहू, और आंबेडकरवादी संगठनों ने इस बयान पर गंभीर आरोप लगाए हैं। इन संगठनों का कहना है कि यह संघ द्वारा बहुजन समाज को दबाने का प्रयास है। इस विरोध में 18 सितंबर को महात्मा फुले की प्रतिमा के पास धरना देकर विरोध प्रदर्शन किया।
संघ प्रमुख डॉ. मोहन भागवत ने पुणे में एक कार्यक्रम के दौरान कहा कि छत्रपति शिवराय की समाधि लोकमान्य तिलक ने खोजी थी। लेकिन ऐतिहासिक तथ्यों के अनुसार, महात्मा फुले 1869 में सबसे पहले रायगढ़ गए थे और उन्होंने ही शिवाजी महाराज की समाधि को खोजा था। उस समय बाल गंगाधर तिलक केवल 13 साल के थे। 1880 में महात्मा फुले ने पुणे और रायगढ़ में शिव जयंती उत्सव की शुरुआत की, जबकि 1893 में तिलक ने गणेश उत्सव को सार्वजनिक रूप दिया।
पत्रकार सम्मेलन में बताया गया कि विशेषज्ञों, इतिहासकारों, सत्यशोधक आंदोलन के दस्तावेजों और अन्य प्रमाणों के बावजूद गलत जानकारी फैलाई जा रही है। इस तरह के प्रयास बहुजन समाज को कमजोर करने के उद्देश्य से किए जा रहे हैं। इस विरोध के तहत 18 सितंबर को महात्मा फुले की प्रतिमा के पास धरना देकर इस गलत जानकारी का विरोध किया गया। इस मौके पर अडवोकेट अरुण मेत्रे, डॉ. ज्ञानेश्वर गोरे, प्रदीप वादाफळे, संजय यवतकर, बाळू निवल, सुनयना यवतकर, शशांक केंढे, और विलास काळे सहित कई अन्य प्रमुख लोग उपस्थित थे।