वक्फ की ज़मीन पर बने हैं दिल्ली के छह मंदिर! अल्पसंख्यक आयोग की फैक्ट फाइंडिंग रिपोर्ट में किया गया दावा
Dehli News
दिल्ली में वक्फ बोर्ड की जमीनों को लेकर एक नया विवाद उभरकर सामने आया है। वक्फ बोर्ड ने पश्चिम दिल्ली के छह मंदिरों पर अपना दावा ठोक दिया है, जिससे राजनीतिक माहौल गरमाने लगा है। दरअसल, दिल्ली अल्पसंख्यक आयोग की 2019 में प्रकाशित एक फैक्ट-फाइंडिंग रिपोर्ट में कहा गया है कि इन मंदिरों का निर्माण वक्फ बोर्ड की जमीन पर हुआ है।
यह रिपोर्ट “लीगल स्टेटस ऑफ रिलिजियस प्लेसेज़ इन एंड अराउंड वेस्ट दिल्ली” नामक शीर्षक से प्रकाशित हुई थी। हालांकि, यह रिपोर्ट 2019 की है, लेकिन हाल के दिनों में वक्फ एक्ट को लेकर देशभर में छिड़ी बहस के बीच यह रिपोर्ट दोबारा चर्चा में आ गई है। रिपोर्ट में कुछ मंदिरों के वक्फ बोर्ड की जमीन पर होने का दावा किया गया है, जिससे इस मुद्दे ने तूल पकड़ लिया है।
वहीं, इन दावों को लेकर मंदिर प्रशासन ने इसे पूरी तरह खारिज कर दिया है। दिल्ली के बीके दत्त कॉलोनी में स्थित सनातन धर्म मंदिर के ट्रस्टी मदन भूटानी ने मिडिया से हुई बातचीत में बताया कि इस मंदिर की जमीन वर्ष 1958 में भारत सरकार से खरीदी गई थी और इसका शिलान्यास 1961 में तत्कालीन केंद्रीय मंत्री के हाथों हुआ था। मंदिर की स्थापना के वक्त लगाए गए शिलान्यास पत्थर से यह बात स्पष्ट होती है।
मदन भूटानी ने वक्फ बोर्ड के दावे को बेबुनियाद बताया और कहा कि यह पहली बार है जब उन्होंने सुना कि वक्फ बोर्ड का इस जमीन से कोई संबंध है। उनका कहना है कि अगर वक्फ बोर्ड को कोई सवाल उठाना है, तो वह भारत सरकार से बात करे, क्योंकि यह जमीन भारत सरकार से मंदिर के लिए खरीदी गई थी।
भूटानी ने यह भी कहा कि उनके पास इस जमीन के सभी कागजात मौजूद हैं और जब भी जरूरत पड़ी, वे इन्हें पेश करने को तैयार हैं। उन्होंने वक्फ बोर्ड के दावे को नकारते हुए कहा कि वक्फ का इस जमीन से कोई लेना-देना नहीं है और यह विवाद महज एक राजनीतिक मुद्दा बनता जा रहा है।
इस विवाद के चलते राजनीतिक गलियारों में गर्मा-गर्मी बढ़ गई है। जहां एक तरफ वक्फ बोर्ड अपने दावे पर कायम है, वहीं मंदिर प्रशासन इसे सिरे से खारिज कर रहा है। दोनों पक्षों के बीच इस मुद्दे को लेकर बढ़ते तनाव से यह मामला और पेचीदा होता जा रहा है।