9 अक्टूबर 2024 की रात भारतीय उद्योग जगत के सबसे प्रतिष्ठित नामों में से एक, रतन टाटा का 86 वर्ष की आयु में निधन हो गया। मुंबई के ब्रीच कैंडी अस्पताल में उन्होंने अपनी अंतिम सांसें लीं। टाटा संस के चेयरमैन एन. चंद्रशेखरन ने उनके निधन की पुष्टि की। रतन टाटा के अचानक चले जाने से देशभर में शोक की लहर फैल गई है, और हर वर्ग से लोग उन्हें श्रद्धांजलि दे रहे हैं।
कौन थे रतन टाटा?
रतन टाटा न सिर्फ एक उद्योगपति थे, बल्कि वह भारतीय समाज में सादगी, उदारता और नैतिक मूल्यों के प्रतीक माने जाते थे। उनके नेतृत्व में टाटा समूह ने दुनिया भर में पहचान बनाई और भारत की कई प्रमुख कंपनियों को विश्वस्तर पर प्रतिस्पर्धी बनाया। रतन टाटा के नेतृत्व में ही टाटा मोटर्स ने जगुआर लैंड रोवर का अधिग्रहण किया और टाटा स्टील ने यूरोप की कंपनी कोरस को खरीदा। उनकी सोच ने न केवल टाटा समूह को नई ऊँचाइयों पर पहुंचाया, बल्कि उन्हें भारतीय कॉर्पोरेट जगत के सबसे सम्मानित व्यक्तियों में से एक बना दिया।
अस्पताल में भर्ती होने की खबर और अफवाहें
7 अक्टूबर को, रतन टाटा को उम्र संबंधी जटिलताओं की वजह से ब्रीच कैंडी अस्पताल में भर्ती कराया गया था। इससे पहले, सोशल मीडिया पर उनकी सेहत को लेकर कई तरह की अफवाहें फैल रही थीं। लेकिन 7 अक्टूबर को उनके अधिकारिक एक्स (ट्विटर) अकाउंट से एक पोस्ट किया गया था जिसमें स्पष्ट किया गया कि वे सिर्फ नियमित स्वास्थ्य जांच के लिए अस्पताल गए हैं और चिंता की कोई बात नहीं है। इस पोस्ट के बाद लोगों ने राहत की सांस ली थी, लेकिन उनका अचानक निधन सभी को स्तब्ध कर गया।
क्या थी मौत की वजह?
अब तक उनकी मौत का कोई आधिकारिक बयान अस्पताल या टाटा समूह की ओर से नहीं आया है। हालांकि, रिपोर्ट्स के अनुसार, रतन टाटा को कोई गंभीर बीमारी नहीं थी और उनका स्वास्थ्य सामान्य था। तीन दिन पहले तक वे पूरी तरह से सक्रिय थे और उन्होंने अपने ऑफिस में भी मीटिंग्स में हिस्सा लिया था। विशेषज्ञों का मानना है कि उनकी मौत उम्र संबंधी परेशानियों और मामूली संक्रमण के कारण हुई है। फिलहाल, इसे प्राकृतिक मृत्यु माना जा रहा है।
देश में शोक की लहर
रतन टाटा के निधन से सिर्फ उद्योग जगत ही नहीं, बल्कि पूरे देश में शोक की लहर दौड़ गई है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, कई उद्योगपति, और तमाम नेताओं ने उनके निधन पर शोक व्यक्त किया है। उनकी सादगी और उनके सामाजिक कार्यों के प्रति समर्पण ने उन्हें लोगों के दिलों में विशेष स्थान दिलाया था। वह अक्सर अपने काम और समाजसेवा के जरिए गरीबों और जरूरतमंदों की मदद के लिए जाने जाते थे।
रतन टाटा की विरासत
रतन टाटा का जीवन “सादा जीवन, उच्च विचार” का जीवंत उदाहरण था। उन्होंने हमेशा सादगी को अपने जीवन में प्राथमिकता दी, भले ही उनके पास बेशुमार दौलत थी। उनका जीवन न केवल भारतीय कॉर्पोरेट जगत के लिए प्रेरणा स्रोत था, बल्कि सामाजिक और मानवीय मूल्यों के लिए भी एक मिसाल रहा। उन्होंने शिक्षा, स्वास्थ्य और ग्रामीण विकास के क्षेत्र में कई महत्वपूर्ण पहलें कीं।
रतन टाटा के निधन के साथ एक युग का अंत हो गया है, लेकिन उनकी विरासत और उनके द्वारा किए गए महान कार्य सदैव जीवित रहेंगे।