Breaking NewsMaharashtraPolitics

मनोज जरांगे पाटिल के यू टर्न से महाराष्ट्र चुनावों में बीजेपी को मिल सकती है नई ताकत?

महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव में सोमवार का दिन एक महत्वपूर्ण मोड़ लेकर आया, जब मराठा आरक्षण आंदोलन के प्रमुख नेता मनोज जरांगे पाटिल ने चुनाव मैदान से हटने की घोषणा की। यह घटनाक्रम राजनीतिक हलकों में आश्चर्य का कारण बना है, क्योंकि पाटिल ने स्पष्ट किया है कि वे किसी भी उम्मीदवार का समर्थन नहीं करेंगे।

चुनावी मैदान से हटने की वजह

मनोज जरांगे पाटिल ने मराठा समुदाय से अपील की है कि वे केवल आरक्षण का विरोध करने वाले उम्मीदवारों को हराने के लिए मतदान न करें। उनके इस फैसले ने निश्चित रूप से बीजेपी के लिए एक सकारात्मक संकेत प्रदान किया है, जो मराठा आरक्षण आंदोलन के कारण पिछले तीन वर्षों से चुनौतियों का सामना कर रही है। पाटिल और आंदोलन के अन्य कार्यकर्ताओं ने उपमुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस को इस मुद्दे पर आलोचना का सामना कराया है, जिससे यह स्पष्ट हो जाता है कि यह मुद्दा चुनाव में अहम भूमिका निभा सकता था।

बीजेपी और महायुति को राहत

पाटिल का यह कदम बीजेपी और महायुति के लिए एक राहत की सांस के रूप में सामने आया है। हाल के लोकसभा चुनाव में बीजेपी और महायुति के घटकों को मराठा आरक्षण आंदोलन के कारण नुकसान हुआ था। पाटिल के इस फैसले से यह संभावना जताई जा रही है कि महायुति को अब चुनाव में राहत मिलेगी, क्योंकि मराठा समुदाय की आबादी 30 से 32% है और यह समुदाय 80 से 85 सीटों पर हार और जीत का फैसला कर सकता है।

MVA को झटका?

मनोज जरांगे पाटिल के इस फैसले से महा विकास अघाड़ी (MVA) को भी झटका लग सकता है, जो मराठा आरक्षण को अपने चुनावी एजेंडे में शामिल करने की उम्मीद कर रही थी। पाटिल ने हाल ही में कहा था कि वे महायुति से बदला लेने के लिए चुनाव में अपनी दावेदारी पेश करेंगे, लेकिन अब उनके इस अचानक लिए गए फैसले ने विपक्षी गठबंधन की योजनाओं को धूमिल कर दिया है।

मराठा और ओबीसी समुदायों के बीच तनाव

महाराष्ट्र में मराठा आरक्षण आंदोलन के कारण मराठा और ओबीसी समुदायों के बीच तनाव बढ़ गया था। ओबीसी समुदाय की आबादी लगभग 40% है, और यह स्थिति चुनावी समीकरण को और भी जटिल बना देती है।

सियासत में मराठा समुदाय का महत्व

महाराष्ट्र की सियासत में मराठा समुदाय का प्रभाव अत्यधिक महत्वपूर्ण रहा है। अब तक 12 मुख्यमंत्री इस समुदाय से रहे हैं, जिसमें वर्तमान मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे भी शामिल हैं। इसलिए, पाटिल का यह फैसला इस समुदाय के राजनीतिक भविष्य को आकार देने में अहम भूमिका निभा सकता है।

राजनीतिक प्रतिक्रियाएँ

बीजेपी के प्रवक्ता प्रवीण दारकेकर ने पाटिल के इस फैसले का समर्थन करते हुए कहा कि यह उनके लिए एक बड़ी जीत है। वहीं, मराठा क्रांति मोर्चा के एक प्रमुख नेता ने भी इस बात का जिक्र किया कि पाटिल के यू टर्न का संकेत पिछले कुछ दिनों से महसूस किया जा रहा था।

मनोज जरांगे पाटिल का चुनावी मैदान से हटने का फैसला महाराष्ट्र की राजनीति में एक नई दिशा प्रदान कर सकता है। बीजेपी और महायुति के लिए यह एक सुनहरा अवसर हो सकता है, लेकिन यह देखना होगा कि क्या इस निर्णय का चुनावी नतीजों पर वास्तविक प्रभाव पड़ता है। आगामी चुनावी परिणाम इस बात को स्पष्ट करेंगे कि मराठा समुदाय की सियासत में आगे का रास्ता क्या होगा।

खासदार टाइम्स

खासदार टाईम्स {निडर, निष्पक्ष, प्रखर समाचार, खासदार की तलवार, अन्याय पे प्रहार!} हिंदी/मराठी न्यूज पेपर, डिजिटल न्यूज पोर्टल/चैनल) RNI No. MAHBIL/2011/37356 संपादक - खान एजाज़ अहमद, कार्यकारी संपादक – सय्यद फेरोज़ आशिक

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button