Breaking NewsPolitics

अमेरिकी राष्ट्रपति चुनाव: डॉनल्ड ट्रंप की बढ़त और भारत पर पड़ने वाला संभावित असर

अमेरिकी राष्ट्रपति चुनावों में डॉनल्ड ट्रंप की एक बार फिर से शानदार वापसी की उम्मीद बनती दिख रही है। इलेक्टोरल कॉलेज वोटों की गिनती के अनुसार, ट्रंप अब तक 267 वोट हासिल कर चुके हैं और जीत के लिए उन्हें केवल 3 और वोटों की आवश्यकता है। दूसरी ओर, डेमोक्रेटिक उम्मीदवार कमला हैरिस 224 वोटों के साथ मैदान में बनी हुई हैं, लेकिन बहुमत के आंकड़े से काफी पीछे हैं। इन चुनावी परिणामों का असर सिर्फ अमेरिका पर ही नहीं, बल्कि पूरी दुनिया और विशेष रूप से भारत की अर्थव्यवस्था पर भी देखने को मिल सकता है।

भारत-अमेरिका व्यापारिक संबंधों पर प्रभाव

अमेरिका दुनिया की सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था है और भारत के लिए सबसे महत्वपूर्ण व्यापारिक साझेदारों में से एक है। वित्तीय वर्ष 2023-24 में, भारत ने अमेरिका से लगभग 42.2 अरब डॉलर के मूल्य का सामान खरीदा जबकि अमेरिका को लगभग 6 लाख 52 हजार करोड़ रुपये मूल्य का सामान निर्यात किया। यह इंगित करता है कि अमेरिका भारत के लिए एक बड़ा और लाभदायक बाजार है।

डॉनल्ड ट्रंप के पिछले कार्यकाल (2017-2021) में भारत-अमेरिका के रिश्तों में कई सकारात्मक पहलु रहे। खासतौर से रक्षा सहयोग और आर्थिक साझेदारी में महत्वपूर्ण सुधार हुए। दोनों देशों के नेताओं—ट्रंप और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी—के बीच अच्छे रिश्तों ने इस साझेदारी को और मजबूत किया। इसके बावजूद, व्यापारिक नीतियों को लेकर ट्रंप ने कई बार भारत की आलोचना की। उन्होंने भारत को “टैरिफ किंग” कहकर संबोधित किया और कई भारतीय उत्पादों पर ऊंचे टैक्स लगाए जाने का मुद्दा उठाया।

संभावित चुनौतियां: ऊंचे टैक्स और व्यापारिक बाधाएं

ट्रंप के पिछले कार्यकाल के दौरान भारत को कई चुनौतियों का सामना करना पड़ा। उदाहरण के लिए, ट्रंप ने भारत को व्यापारिक वरीयता की सामान्य व्यवस्था (Generalized System of Preferences, GSP) से बाहर कर दिया। इस फैसले से कई भारतीय उत्पादों के लिए अमेरिकी बाजार में प्रवेश महंगा हो गया, जिससे भारतीय कंपनियों को आर्थिक नुकसान हुआ। इसके अलावा, भारत में अमेरिकी मोटरसाइकिल ब्रांड हार्ले-डेविडसन पर लगाए गए भारी टैक्स को लेकर ट्रंप ने खुले तौर पर नाराजगी जाहिर की थी।

यदि ट्रंप दोबारा राष्ट्रपति बनते हैं, तो यह संभव है कि भारतीय कंपनियों को अमेरिका में अपने उत्पादों के निर्यात पर अधिक टैरिफ चुकाने पड़ सकते हैं। इसका असर खासकर आईटी, फार्मास्यूटिकल्स, टेक्सटाइल, और रत्न व आभूषण उद्योगों पर पड़ सकता है, जो कि अमेरिका के प्रमुख आयात क्षेत्रों में शामिल हैं।

भारत के लिए संभावित फायदे: चीन-विरोधी नीतियां

डॉनल्ड ट्रंप की चीन-विरोधी नीतियां भारत के लिए एक बड़ा अवसर साबित हो सकती हैं। ट्रंप प्रशासन के दौरान, चीन पर आर्थिक प्रतिबंध और आयात टैरिफ बढ़ाए गए थे, जिससे वैश्विक कंपनियां चीन के बाहर नए निवेश विकल्पों की तलाश में थीं। कोविड-19 महामारी के बाद से यह प्रवृत्ति और तेज हो गई। इस रणनीति को “चाइना प्लस वन” कहा जाता है, जिसमें कंपनियां चीन के अलावा अन्य देशों में भी निवेश करती हैं। भारत और वियतनाम जैसे देश इसका लाभ उठा रहे हैं।

मार्केट रिसर्च फर्म नोमुरा की रिपोर्ट के अनुसार, यदि ट्रंप फिर से राष्ट्रपति बनते हैं, तो चीन पर और अधिक सख्त नीतियां अपनाई जाएंगी। इसका सीधा फायदा भारत के मेटल, केमिकल, और टेक्सटाइल उद्योग को हो सकता है। उदाहरण के लिए, ट्रंप के सत्ता में आने से चीनी मेटल्स पर बढ़े हुए टैक्स लग सकते हैं, जिससे भारतीय मेटल एक्सपोर्टर्स को फायदा होगा।

महंगाई और आयात पर प्रभाव

ट्रंप की आर्थिक नीतियां अक्सर विस्तारवादी रही हैं। उन्होंने अमेरिकी कंपनियों को देश में अधिक उत्पादन करने के लिए प्रेरित किया, जिससे उत्पादन लागत बढ़ी। इसके परिणामस्वरूप आयात पर ऊंचे टैरिफ लगाने की योजना बनाई, जिससे विदेशी सामान महंगे हो गए। इसका मतलब है कि भारतीय कंपनियों को अमेरिका में अपने उत्पादों की प्रतिस्पर्धात्मकता बढ़ाने का अवसर मिल सकता है।

हालांकि, इन नीतियों का एक और प्रभाव होगा—महंगाई। अमेरिका में बढ़ती महंगाई से भारत पर भी असर पड़ सकता है, क्योंकि अमेरिका में महंगे आयात का मतलब भारतीय निर्यातकों के लिए उच्च लागत और बदली हुई बाजार स्थितियां हो सकती हैं।

रक्षा और तकनीकी सहयोग

भारत और अमेरिका के बीच रक्षा संबंधों में ट्रंप के पिछले कार्यकाल में महत्वपूर्ण प्रगति हुई थी। ट्रंप ने भारत को प्रमुख रक्षा साझेदार का दर्जा दिया था, जिससे भारत को उन्नत तकनीक और हथियारों की आपूर्ति आसान हो गई। ऐसे में ट्रंप के दोबारा राष्ट्रपति बनने से दोनों देशों के बीच रक्षा सहयोग और तकनीकी साझेदारी और मजबूत हो सकती है।

डॉनल्ड ट्रंप की वापसी भारत-अमेरिका संबंधों में नए अवसर और चुनौतियां दोनों ला सकती है। जहां एक ओर उनकी चीन-विरोधी नीतियां भारत के लिए व्यापारिक और रणनीतिक लाभ ला सकती हैं, वहीं दूसरी ओर उनके कड़े व्यापारिक रवैये से भारत के लिए नए टैक्स और व्यापारिक बाधाएं भी उत्पन्न हो सकती हैं। भारतीय नीति निर्माताओं के लिए यह जरूरी होगा कि वे इन संभावित बदलावों के लिए तैयार रहें और आवश्यक कदम उठाएं।

खासदार टाइम्स

खासदार टाईम्स {निडर, निष्पक्ष, प्रखर समाचार, खासदार की तलवार, अन्याय पे प्रहार!} हिंदी/मराठी न्यूज पेपर, डिजिटल न्यूज पोर्टल/चैनल) RNI No. MAHBIL/2011/37356 संपादक - खान एजाज़ अहमद, कार्यकारी संपादक – सय्यद फेरोज़ आशिक

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button