महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव में मुस्लिम उम्मीदवारों की संख्या कम, अधिकतर सीटों पर मुस्लिम उम्मीदवार नदारद
महाराष्ट्र में आगामी विधानसभा चुनावों में मुस्लिम समुदाय से ताल्लुक रखने वाले उम्मीदवारों की संख्या में भारी कमी देखी जा रही है। टाइम्स ऑफ इंडिया की एक रिपोर्ट के अनुसार, राज्य की 288 विधानसभा सीटों में से 150 से अधिक सीटें ऐसी हैं, जहां एक भी मुस्लिम उम्मीदवार मैदान में नहीं है। वहीं, लगभग 50 सीटों पर केवल एक ही मुस्लिम उम्मीदवार है। यह आंकड़े राज्य की राजनीति में अल्पसंख्यक समुदाय की कमजोर होती स्थिति की ओर इशारा कर रहे हैं।
कितने मुस्लिम उम्मीदवार मैदान में
महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव में कुल 4,136 उम्मीदवार मैदान में हैं, जिनमें से केवल 420 मुस्लिम उम्मीदवार हैं। इनमें से भी आधे से अधिक निर्दलीय उम्मीदवार के रूप में चुनाव लड़ रहे हैं। मुस्लिम समुदाय से होने के बावजूद मुख्य धारा की पार्टियों ने इन्हें सीमित संख्या में ही मौका दिया है। राज्य की राजनीति में मुस्लिम प्रतिनिधित्व की यह कमी विभिन्न राजनीतिक विश्लेषकों और समाजसेवी संगठनों के बीच चिंता का विषय बनी हुई है।
पार्टियों ने कितने मुस्लिम उम्मीदवारों को दिया टिकट
मुख्य दलों में कांग्रेस ने इस बार 9 मुस्लिम उम्मीदवारों को टिकट दिया है, जबकि उपमुख्यमंत्री अजित पवार की पार्टी (एनसीपी) ने 5 मुस्लिम उम्मीदवारों को चुनावी मैदान में उतारा है। असदुद्दीन ओवैसी की पार्टी AIMIM (ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहादुल मुस्लिमीन) ने इस बार सबसे अधिक 16 मुस्लिम उम्मीदवार उतारे हैं। छोटे दलों की ओर से कुल 150 मुस्लिम उम्मीदवारों को टिकट दिया गया है। इसके अतिरिक्त, 420 में से 218 मुस्लिम उम्मीदवार निर्दलीय के रूप में चुनाव लड़ रहे हैं।
मालेगांव और औरंगाबाद में मुस्लिम उम्मीदवारों की सबसे अधिक संख्या
मालेगांव में सबसे अधिक 13 मुस्लिम उम्मीदवार मैदान में हैं। वहीं, औरंगाबाद पूर्व विधानसभा क्षेत्र से कुल 29 उम्मीदवारों में से 17 मुस्लिम हैं, जिनमें तीन महिलाएं भी शामिल हैं। यह राज्य का एकमात्र क्षेत्र है जहां इतनी बड़ी संख्या में मुस्लिम उम्मीदवार चुनाव लड़ रहे हैं। हालांकि, पूरे राज्य में मुस्लिम महिला उम्मीदवारों की स्थिति बहुत कमजोर है। 288 सीटों में से केवल 22 मुस्लिम महिला उम्मीदवार हैं, और 270 सीटों पर कोई भी मुस्लिम महिला उम्मीदवार नहीं है।
महायुति बनाम महाविकास अघाड़ी का मुकाबला
राज्य में मुख्य मुकाबला सत्तारूढ़ महायुति (ग्रैंड अलायंस) और विपक्षी महाविकास अघाड़ी (MVA) के बीच है। महायुति में शिवसेना, भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) और उपमुख्यमंत्री अजित पवार की एनसीपी शामिल हैं। वहीं, एमवीए गठबंधन में उद्धव ठाकरे के नेतृत्व वाली शिवसेना (यूबीटी), शरद पवार की अगुवाई वाली एनसीपी (एसपी) और कांग्रेस शामिल हैं।
मुस्लिम समुदाय की चिंताएं और आगामी चुनाव की भूमिका
महाराष्ट्र में मुस्लिम समुदाय के बीच इन चुनावों को लेकर निराशा है। हालांकि, कई मुस्लिम उम्मीदवारों को निर्दलीय चुनाव लड़ने के लिए प्रेरित किया गया है, लेकिन इस कदम के कारण मुस्लिम वोटों का बंटवारा होने का खतरा भी बढ़ गया है। समाजसेवियों और मुस्लिम संगठनों का मानना है कि मुस्लिम समुदाय को राज्य की राजनीति में उनकी जनसंख्या के अनुसार प्रतिनिधित्व मिलना चाहिए।
राजनीतिक विश्लेषकों का कहना है कि मुख्यधारा की पार्टियों द्वारा मुस्लिम समुदाय के उम्मीदवारों को नजरअंदाज करना समुदाय में राजनीतिक असंतोष को बढ़ा सकता है। विशेषज्ञ मानते हैं कि राजनीतिक दलों के लिए अल्पसंख्यकों के हितों को नजरअंदाज करना राजनीतिक दृष्टिकोण से जोखिम भरा हो सकता है, क्योंकि मुस्लिम समुदाय राज्य की राजनीति में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है।
चुनाव और परिणाम तिथियां
महाराष्ट्र में विधानसभा चुनाव के लिए 20 नवंबर को मतदान होगा और 23 नवंबर को मतगणना होगी। राज्य के राजनीतिक भविष्य का निर्धारण करने के लिए यह चुनाव महत्वपूर्ण है, और यह देखना दिलचस्प होगा कि मुस्लिम समुदाय की भागीदारी किस हद तक चुनावी परिणामों को प्रभावित करती है।