अजमेर शरीफ विवाद: ‘छोटे-छोटे जज देश में आग लगवाना चाहते हैं’ – राम गोपाल यादव
अजमेर शरीफ दरगाह में शिव मंदिर होने के दावे को लेकर एक दीवानी मुकदमा दायर किया गया है। इस मामले में स्थानीय अदालत ने संबंधित पक्षों को नोटिस जारी किया है। मामले ने राजनीतिक और सामाजिक हलकों में भारी बहस छेड़ दी है।
समाजवादी पार्टी के वरिष्ठ नेता और राज्यसभा सांसद राम गोपाल यादव ने इस घटनाक्रम पर तीखी प्रतिक्रिया दी है। उन्होंने कहा, “छोटे-छोटे जज बैठे हैं जो देश में आग लगवाना चाहते हैं। अजमेर शरीफ को विवादों में डालना घृणित और ओछी मानसिकता का प्रतीक है।” यादव ने यह भी आरोप लगाया कि सत्ता में बने रहने के लिए भाजपा समर्थित लोग देश में अस्थिरता फैलाने की कोशिश कर रहे हैं।
एआईएमआईएम प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी ने भी मामले पर चिंता व्यक्त की। उन्होंने कहा, “इस तरह के मामलों से कानून का शासन और लोकतंत्र कमजोर हो रहा है। यह देश के हित में नहीं है।”
सुप्रीम कोर्ट बार एसोसिएशन के अध्यक्ष और वरिष्ठ अधिवक्ता कपिल सिब्बल ने इस घटनाक्रम को “चिंताजनक” बताया। उन्होंने सोशल मीडिया पर लिखा, “राजनीतिक लाभ के लिए देश को कहां ले जाया जा रहा है, यह गंभीर सवाल है।”
राजनीतिक लाभ या धार्मिक विवाद?
विशेषज्ञों का मानना है कि इस तरह के दावे और मुकदमे न केवल धार्मिक ध्रुवीकरण को बढ़ावा दे सकते हैं, बल्कि सामाजिक ताने-बाने को भी प्रभावित कर सकते हैं। अजमेर शरीफ दरगाह न केवल मुस्लिम समुदाय के लिए बल्कि विभिन्न धर्मों के लोगों के लिए आस्था का प्रमुख केंद्र है।
प्रधानमंत्री भी भेजते हैं चादर
राम गोपाल यादव ने यह भी कहा कि अजमेर शरीफ दरगाह पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी स्वयं हर साल चादर भिजवाते हैं। ऐसे में इस पवित्र स्थान को विवादों में घसीटना बेहद दुर्भाग्यपूर्ण है।
यह मामला धार्मिक स्थलों से जुड़े विवादों की एक और कड़ी है, जो देश के सांप्रदायिक सौहार्द्र को प्रभावित कर सकता है। राजनीतिक दल और सामाजिक संगठनों की प्रतिक्रियाओं से स्पष्ट है कि यह मुद्दा आने वाले समय में और अधिक तूल पकड़ सकता है।