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पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह के अंतिम संस्कार पर गरमाई राजनीति, कांग्रेस ने बताया “अपमान”

नई दिल्ली: देश के पूर्व प्रधानमंत्री डॉ. मनमोहन सिंह का शनिवार को दिल्ली के निगमबोध घाट पर अंतिम संस्कार किया गया। 91 वर्षीय डॉ. मनमोहन सिंह का गुरुवार रात निधन हो गया था। उनके अंतिम संस्कार को लेकर एक नई राजनीतिक बहस छिड़ गई है, क्योंकि इसे राजघाट पर न किए जाने पर विपक्ष ने नाराजगी जताई है।

कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने इसे डॉ. मनमोहन सिंह का “अपमान” करार दिया। उन्होंने सोशल मीडिया पर पोस्ट करते हुए कहा, “देश के पहले सिख प्रधानमंत्री और महान नेता डॉ. मनमोहन सिंह का अंतिम संस्कार राजघाट पर न करना दुखद है। उन्होंने देश को आर्थिक महाशक्ति बनाने में अहम भूमिका निभाई थी। सरकार को उनकी गरिमा और योगदान का सम्मान करना चाहिए था।”

दिल्ली के पूर्व मुख्यमंत्री और आप संयोजक अरविंद केजरीवाल ने भी सरकार पर निशाना साधते हुए कहा, “डॉ. मनमोहन सिंह, जो 10 साल तक प्रधानमंत्री रहे, के अंतिम संस्कार के लिए बीजेपी सरकार राजघाट पर जगह नहीं दे सकी। यह सिख समाज और उनके योगदान का अनादर है।”

खरगे ने पीएम को लिखा था पत्र

कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को पत्र लिखकर मांग की थी कि डॉ. मनमोहन सिंह का अंतिम संस्कार राजघाट पर किया जाए। उन्होंने बताया कि सभी पूर्व प्रधानमंत्रियों का अंतिम संस्कार राजघाट पर हुआ है और डॉ. सिंह का भी वहां समाधि स्थल बनाया जाना चाहिए।

सरकार का निर्णय

हालांकि, केंद्र सरकार ने कांग्रेस और अन्य विपक्षी दलों की मांग को खारिज कर दिया। सरकारी सूत्रों के मुताबिक, निगमबोध घाट पर अंतिम संस्कार का फैसला डॉ. मनमोहन सिंह के परिवार की सहमति और परंपराओं को ध्यान में रखकर किया गया।

राजनीतिक प्रतिक्रिया तेज

डॉ. मनमोहन सिंह का अंतिम संस्कार राजघाट पर न होने से विपक्ष ने इसे राजनीति से जोड़कर देखा है। वहीं, भाजपा नेताओं ने इस मामले पर चुप्पी साधी हुई है।

डॉ. मनमोहन सिंह के निधन पर पूरे देश में शोक की लहर है। उनके योगदान और विरासत को लेकर उनकी पार्टी और समर्थकों ने सरकार से बेहतर सम्मान की उम्मीद जताई थी।

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