सनातन धर्म रक्षा संघ अजमेर, राजस्थान ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से इस वर्ष ख्वाजा मोइनुद्दीन हसन चिश्ती की दरगाह पर 813वें सालाना उर्स के अवसर पर चादर ना भेजने का आग्रह किया है। संघ ने इसके लिए एक पत्र लिखकर दरगाह संकट मोचन महादेव मंदिर विवाद का हवाला दिया है, जो फिलहाल अजमेर न्यायालय में विचाराधीन है।
विवाद का कारण
संघ के अध्यक्ष और पूर्व न्यायाधीश अजय शर्मा ने बताया कि प्रधानमंत्री द्वारा चादर भेजने से यह संदेश जा सकता है कि सरकार विवादित स्थल पर दरगाह होने की पुष्टि कर रही है, जिससे न्याय प्रक्रिया प्रभावित हो सकती है। उन्होंने कहा कि जब कोई मामला न्यायालय में लंबित हो और केंद्र सरकार किसी पक्ष में हो, तो प्रधानमंत्री को ऐसे किसी कार्य से बचना चाहिए जो निष्पक्षता पर सवाल उठाए।
राष्ट्रहित में चादर न भेजने की अपील
पत्र में कहा गया है कि चादर नहीं भेजना राष्ट्रहित और जनहित में सभी वर्गों के लिए उपयुक्त होगा। यह कदम न्याय प्रक्रिया को निष्पक्ष बनाए रखने और प्रशासनिक तंत्र की साख को बनाए रखने के लिए आवश्यक है।
हर वर्ष भेजी जाती है चादर
उल्लेखनीय है कि हर वर्ष उर्स के अवसर पर प्रधानमंत्री की ओर से ख्वाजा साहब की दरगाह पर चादर भेजी जाती है। हालांकि, इस वर्ष विवाद के चलते यह मांग उठाई गई है कि न्यायालय के फैसले तक चादर भेजने से परहेज किया जाए।
यह मामला धार्मिक और न्यायिक संतुलन के दृष्टिकोण से बेहद संवेदनशील है, और सरकार के फैसले पर सभी की निगाहें टिकी हैं।