राज्य परिवहन महामंडल (एसटी महामंडल) की बसों को किराए पर लेने की प्रक्रिया में विवाद खड़ा हो गया है। सरकार को अंधेरे में रखकर अधिकारियों ने यह निर्णय लिया, जिसमें कथित तौर पर खास ठेकेदारों को फायदा पहुंचाया गया। मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने इस प्रक्रिया पर रोक लगाते हुए जांच के आदेश दिए हैं।
क्या है मामला?
‘दैनिक लोकसत्ता’ की रिपोर्ट के अनुसार, एसटी महामंडल ने 1310 बसों को किराए पर लेने के लिए निविदा प्रक्रिया चलाई थी। यह प्रक्रिया विधानसभा चुनाव के ठीक पहले शुरू की गई थी। पहले विभागवार बसों को किराए पर लिया जाता था, लेकिन नई प्रक्रिया के तहत पूरे राज्य को तीन समूहों (क्लस्टर) में बांटा गया। हर समूह में 400-450 बसों को किराए पर लेने का निर्णय लिया गया। यह ठेका सात वर्षों के लिए दिया गया था। तीन कंपनियों को चुना गया, लेकिन इस प्रक्रिया में बड़े घोटाले का संकेत मुख्यमंत्री कार्यालय को मिला।
रिपोर्ट्स के अनुसार, इस फैसले से एसटी महामंडल को 2000 करोड़ रुपये का नुकसान हो सकता था। मुख्यमंत्री फडणवीस ने इस फैसले को स्थगित कर परिवहन विभाग के अपर सचिव के माध्यम से जांच के आदेश दिए हैं।
एसटी महामंडल को कैसे होता नुकसान?
2022 में 500 बसों को 44 रुपये प्रति किलोमीटर (डीजल सहित) की दर से किराए पर लिया गया था। लेकिन इस बार निविदा में कंपनियों ने डीजल का खर्च हटाकर 39-41 रुपये प्रति किमी की दर तय की। वित्तीय निविदा प्रक्रिया विधानमंडल के हिवालवी सत्र के दौरान पूरी की गई, और कंपनियों को 34.20-35.40 रुपये प्रति किमी की दर से इरादा पत्र दिया गया।
डीजल का खर्च करीब 20-22 रुपये प्रति किमी होता है, जिसे एसटी महामंडल को वहन करना पड़ता। इस कारण हर किलोमीटर के सफर पर एसटी को 12 रुपये अतिरिक्त खर्च करना पड़ता। सात वर्षों के इस ठेके से कुल 2000 करोड़ रुपये का अतिरिक्त भार महामंडल पर पड़ता।
मुख्यमंत्री का दखल
मुख्यमंत्री फडणवीस ने निविदा प्रक्रिया में अनियमितताओं की जानकारी मिलने के बाद इसे स्थगित कर दिया और गहन जांच के आदेश दिए। यह मामला अब परिवहन विभाग और मुख्यमंत्री कार्यालय की निगरानी में है।
यह विवाद एसटी महामंडल के प्रबंधन और निविदा प्रक्रियाओं में पारदर्शिता की आवश्यकता को उजागर करता है। जांच के परिणाम का इंतजार है, जिससे यह स्पष्ट होगा कि किन कारणों से यह घोटाला हुआ।