वाराणसी में ज्योतिष पीठ के शंकराचार्य स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद सरस्वती से मुलाकात करने आए 12 बांग्लादेशी हिंदुओं ने भारत सरकार के समक्ष अपनी मांगें रखीं। उन्होंने बांग्लादेश में हिंदुओं की सुरक्षा और भारत में उनके भविष्य को लेकर कई अहम मुद्दे उठाए।
प्रमुख मांगें:
- बांग्लादेश में अलग जमीन: बांग्लादेश में हिंदुओं के लिए अलग जमीन देने की मांग की गई, ताकि वे सुरक्षित रह सकें।
- जनसंख्या का आदान-प्रदान: उन्होंने सुझाव दिया कि जितने हिंदू बांग्लादेश से भारत आ रहे हैं, उतने मुसलमानों को बांग्लादेश भेजा जाना चाहिए।
- भारत में स्वाभाविक नागरिकता: दुनिया के किसी भी हिस्से में जन्मे हिंदुओं को इजराइल की तर्ज पर भारत का स्वाभाविक नागरिक माना जाए।
- वीजा अवधि बढ़ाने की मांग: 5 अगस्त 2024 से पहले भारत आए बांग्लादेशी हिंदुओं का वीजा बढ़ाने और उन्हें जबरन वापस न भेजने की अपील की गई।
- रोजगार का प्रावधान: भारत में रह रहे बांग्लादेशी हिंदुओं को रोजगार देकर उनका पुनर्वास किया जाए।
शंकराचार्य का समर्थन:
शंकराचार्य ने उनकी समस्याओं को गंभीरता से सुना और उनकी मांगों पर विचार करने का आश्वासन दिया। उन्होंने भारत सरकार से आग्रह किया कि वह बांग्लादेश में हिंदुओं के लिए ठोस कदम उठाए और भारत में उनकी सुरक्षा सुनिश्चित करे।
पृष्ठभूमि:
बांग्लादेश में हिंदुओं की घटती जनसंख्या और उनके साथ हो रहे अत्याचार लंबे समय से चर्चा का विषय रहे हैं। भारत में आने वाले बांग्लादेशी हिंदू अपने भविष्य को लेकर चिंतित हैं। यह मुद्दा दोनों देशों के लिए संवेदनशील है और मानवाधिकारों से जुड़ा हुआ है।
इस घटना ने हिंदू समुदाय के वैश्विक अधिकारों और उनकी सुरक्षा को लेकर एक नई बहस को जन्म दिया है।