प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी हर साल की तरह इस बार भी ख्वाजा मोइनुद्दीन चिश्ती के 813वें उर्स पर अजमेर शरीफ दरगाह पर चादर भेज रहे हैं। हालांकि, इस कदम को लेकर राजनीतिक और कानूनी विवाद गहराता जा रहा है।
हिंदू सेना की याचिका
हिंदू सेना ने अजमेर जिला न्यायालय में याचिका दायर कर चादर पर रोक लगाने की मांग की है। सेना के अध्यक्ष विष्णु गुप्ता का कहना है कि पीएम की चादर भेजने से उनका केस प्रभावित होगा। गुप्ता ने दलील दी कि प्रधानमंत्री सभी नागरिकों के हैं और उनके इस कदम से न्यायालय की प्रक्रिया पर असर पड़ेगा।
न्यायालय में सुनवाई
याचिका पर आज अजमेर के सिविल जज मनमोहन चंदेल की अदालत में सुनवाई होगी। गुप्ता ने उम्मीद जताई है कि अदालत चादर भेजने पर रोक लगाएगी।
केंद्रीय मंत्री किरेन रिजिजू होंगे प्रतिनिधि
इस बार केंद्रीय संसदीय कार्य मंत्री किरेन रिजिजू प्रधानमंत्री के प्रतिनिधि बनकर चादर लेकर जाएंगे। पहले यह जिम्मेदारी मुख्तार अब्बास नकवी निभाते थे।
राजनीतिक बयानबाज़ी
पीएम मोदी के इस कदम पर हिंदू संगठनों और विपक्षी दलों ने आलोचना की है। विपक्ष इसे पीएम का “दोहरा मापदंड” करार दे रहा है।
यह देखना अहम होगा कि न्यायालय का फैसला क्या होता है और इस विवाद का राजनीतिक प्रभाव क्या पड़ता है।