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आदित्य-फडणवीस की मुलाकातों से बढ़ा शिंदे का तनाव, सियासी समीकरण बदलने के संकेत

महाराष्ट्र में नई सरकार के गठन के बाद भी राजनीतिक खींचतान और समीकरणों की सुगबुगाहट खत्म नहीं हुई है। शिवसेना उद्धव गुट के नेता आदित्य ठाकरे और मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस की लगातार हो रही मुलाकातों ने सियासी चर्चाओं को नया मोड़ दे दिया है।

फडणवीस-ठाकरे मुलाकात: नए समीकरण की ओर इशारा?

गुरुवार को आदित्य ठाकरे ने मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस से मुलाकात की। बीते 35 दिनों में यह उनकी तीसरी मुलाकात थी। बैठक में मुंबई की समस्याओं और संसदीय क्षेत्र के मुद्दों पर चर्चा हुई, लेकिन इन मुलाकातों के पीछे छिपे राजनीतिक संकेतों ने सभी का ध्यान खींचा है।

विशेषज्ञों का मानना है कि फडणवीस, एकनाथ शिंदे के साथ बनी वर्तमान सरकार के भीतर चल रही खींचतान से असहज हैं। इन मुलाकातों के जरिये फडणवीस यह संदेश देना चाहते हैं कि उनके पास विकल्प खुले हैं और जरूरत पड़ने पर वे उद्धव ठाकरे के नेतृत्व वाली शिवसेना के साथ हाथ मिलाने से पीछे नहीं हटेंगे।

शिंदे का पलटवार: “गिरगिट भी शरमा जाए”

इन मुलाकातों पर उपमुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे ने तीखा पलटवार किया है। उन्होंने कहा, “गिरगिट रंग बदलता है, लेकिन इस तरह की नई प्रजाति मैंने पहली बार देखी है। जिन्होंने हमें असंवैधानिक सरकार और मुख्यमंत्री कहा, वे अब नई राजनीति कर रहे हैं।”

शिंदे ने महायुति की सरकार पर जनता के विश्वास का जिक्र करते हुए कहा कि आने वाले स्थानीय निकाय चुनावों में महायुति को बड़ी सफलता मिलेगी। उन्होंने विपक्ष पर कटाक्ष करते हुए कहा कि जिन्होंने बाला साहेब ठाकरे के हिंदुत्व के विचारों को छोड़ा, जनता ने विधानसभा चुनाव में उन्हें सबक सिखाया है।

नगर निगम चुनाव: अगली बड़ी परीक्षा

एकनाथ शिंदे ने कहा कि नगर निगम चुनावों में महायुति का प्रदर्शन और भी बेहतर होगा। उन्होंने महाविकास अघाड़ी पर तंज कसते हुए कहा कि विधानसभा चुनाव के दौरान अघाड़ी ने जीत का माहौल बनाने की कोशिश की थी, लेकिन जनता ने महायुति पर विश्वास जताया।

निष्कर्ष

आदित्य ठाकरे और देवेंद्र फडणवीस की मुलाकातें महाराष्ट्र की राजनीति में नए समीकरणों की ओर इशारा कर रही हैं। वहीं, एकनाथ शिंदे की प्रतिक्रिया ने इन अटकलों को और तेज कर दिया है। आगामी नगर निगम चुनाव महाराष्ट्र की सियासत में बड़े बदलाव का संकेत दे सकते हैं।

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