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फडणवीस का फैसला: मंत्री बनने के बाद सिडको पद पर बने रहने पर शिरसाट पर गिरी गाज

औरंगाबाद महाराष्ट्र में महायुति सरकार के उपमुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने शिवसेना नेता और कैबिनेट मंत्री संजय शिरसाट को सिडको के अध्यक्ष पद से हटाने का बड़ा फैसला लिया है। यह कार्रवाई उस नियम के तहत हुई है, जिसके अनुसार मंत्री बनने के बाद किसी अन्य सरकारी पद पर बने रहना गैरकानूनी है।

शिरसाट को क्यों हटाया गया?

संजय शिरसाट, जिन्होंने शिवसेना में ऐतिहासिक बगावत के दौरान एकनाथ शिंदे का खुलकर समर्थन किया था, महायुति सरकार 2.0 में सामाजिक न्याय मंत्री बने। मंत्री बनने के बावजूद वह सिडको के अध्यक्ष पद से इस्तीफा देने को तैयार नहीं थे। फडणवीस के निर्देश पर नगर विकास विभाग ने कार्रवाई करते हुए उन्हें इस पद से हटा दिया।

क्या है विवाद की जड़?

  1. शिंदे की नाराजगी दूर करने के लिए मिला था पद:
    शिरसाट, जो शिवसेना में उद्धव ठाकरे के खिलाफ मुखर थे, महायुति सरकार 1.0 में मंत्री नहीं बन पाए। नाराजगी दूर करने के लिए उन्हें सिडको का अध्यक्ष बनाया गया था।
  2. मंत्री बनने के बाद पद पर बने रहे:
    महायुति सरकार 2.0 में कैबिनेट मंत्री बनने के बाद भी शिरसाट ने सिडको अध्यक्ष पद नहीं छोड़ा, जिससे नियमों का उल्लंघन हुआ।

फडणवीस का सख्त रुख:

सरकार द्वारा जारी निर्णय में स्पष्ट कहा गया है कि सिडको के अनुच्छेद 202 के अनुसार मंत्री बनने के बाद अध्यक्ष का कार्यकाल स्वतः समाप्त हो जाता है। फडणवीस ने नियमों का पालन कराने के लिए शिरसाट को उनके कर्तव्यों से मुक्त कर दिया।

भरत गोगावले पर भी कार्रवाई संभव:

संजय शिरसाट के बाद भरत गोगावले, जो मंत्री बनने के बावजूद एसटी महामंडल के अध्यक्ष पद पर बने हुए हैं, पर भी कार्रवाई हो सकती है। सूत्रों के अनुसार, जल्द ही उन्हें भी पद से हटाया जा सकता है।

सिडको अध्यक्ष पद पर मची खींचतान:

सिडको अध्यक्ष पद के लिए अब शिंदे गुट के विधायकों में रस्साकशी शुरू हो गई है। माना जा रहा है कि जल्द ही इस पद पर किसी नए चेहरे की नियुक्ति होगी।

निष्कर्ष:
देवेंद्र फडणवीस ने इस कार्रवाई के जरिए महायुति सरकार में नियमों का सख्त पालन कराने का संदेश दिया है। यह कदम उन विधायकों और मंत्रियों के लिए एक स्पष्ट संकेत है, जो नियमों का पालन किए बिना दो पदों पर बने रहना चाहते हैं।

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