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गुरु शिष्य का रिश्ता हुआ शर्मसार, 3 शिक्षकों ने छात्रा को बनाया अपनी हवस का शिकार!

तमिलनाडु के कृष्णागिरी जिले में एक सरकारी स्कूल में हुई एक चौंकाने वाली घटना ने पूरे समाज को झकझोर कर रख दिया है। यहां तीन शिक्षकों पर एक 13 वर्षीय छात्रा के साथ यौन उत्पीड़न का आरोप लगा है। इस घटना ने न केवल स्थानीय समुदाय को हिला दिया है, बल्कि शिक्षा व्यवस्था और सुरक्षा के मुद्दे पर भी गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं।

घटना का विवरण:

कृष्णागिरी जिले के पोचमपल्ली के पास स्थित एक सरकारी हाई स्कूल में यह घटना सामने आई। आठवीं कक्षा की एक छात्रा पिछले एक महीने से स्कूल नहीं आ रही थी। जब प्रिंसिपल ने इसकी जांच की, तो पता चला कि छात्रा गर्भवती हो गई थी और उसने गर्भपात करा लिया था। छात्रा ने बताया कि स्कूल के तीन शिक्षकों ने उसके साथ यौन उत्पीड़न किया था। इस बात से स्तब्ध प्रिंसिपल ने तुरंत पुलिस को सूचित किया।

आरोपियों की गिरफ्तारी:

छात्रा के बयान के आधार पर, स्कूल के तीन शिक्षकों – अरुमुगम, चिन्नास्वामी और प्रकाश को गिरफ्तार कर लिया गया। इन पर पोक्सो अधिनियम (POCSO Act) के तहत मामला दर्ज किया गया है। इस कानून के तहत नाबालिगों के साथ यौन शोषण करने वालों को सख्त सजा का प्रावधान है। तीनों शिक्षकों को निलंबित कर दिया गया है और उनकी नौकरी से हाथ धोना पड़ा है।

छात्रा की हालत:

छात्रा को कृष्णागिरी सरकारी अस्पताल में भर्ती कराया गया है, जहां उसका इलाज चल रहा है। इस घटना ने उसके मानसिक और शारीरिक स्वास्थ्य पर गहरा प्रभाव डाला है। उसके परिवार और स्थानीय लोग इस घटना से बेहद आहत हैं।

स्थानीय समुदाय का विरोध:

इस घटना के बाद, स्थानीय लोगों ने स्कूल का घेराव करके विरोध प्रदर्शन किया। छात्रा के माता-पिता, रिश्तेदारों और अन्य लोगों ने न्याय की मांग करते हुए स्कूल प्रशासन और शिक्षा विभाग के खिलाफ आवाज उठाई। इससे पूरे इलाके में तनावपूर्ण माहौल बन गया है।

शिक्षा व्यवस्था पर सवाल:

यह घटना शिक्षा व्यवस्था और स्कूलों में बच्चों की सुरक्षा को लेकर गंभीर सवाल खड़े करती है। शिक्षकों से अपेक्षा की जाती है कि वे बच्चों को नैतिक शिक्षा और अच्छे संस्कार सिखाएं, लेकिन इस तरह की घटनाएं समाज के विश्वास को झकझोर देती हैं। इस मामले ने स्कूलों में बच्चों की सुरक्षा और शिक्षकों के चयन प्रक्रिया पर पुनर्विचार करने की आवश्यकता को उजागर किया है।

निष्कर्ष:

तमिलनाडु के कृष्णागिरी जिले में हुई यह घटना न केवल एक शोकनीय घटना है, बल्कि यह समाज के लिए एक चेतावनी भी है। इस मामले में त्वरित कार्रवाई करके आरोपियों को गिरफ्तार किया गया है, लेकिन इस तरह की घटनाओं को रोकने के लिए और अधिक सख्त कदम उठाने की आवश्यकता है। बच्चों की सुरक्षा और उनके अधिकारों की रक्षा करना समाज और सरकार की प्राथमिकता होनी चाहिए।

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