अब्दुल रहमान की गिरफ्तारी पर सवाल – आतंकी साजिश या एक और निर्दोष की बलि?

अयोध्या राम मंदिर पर आतंकी हमले की साजिश के आरोप में गुजरात एटीएस, एसटीएफ और आईबी ने हरियाणा के फरीदाबाद से अब्दुल रहमान को गिरफ्तार किया। सुरक्षा एजेंसियों ने उसकी निशानदेही पर दो ग्रेनेड बरामद करने का दावा किया है। लेकिन अब्दुल के परिवार का कहना है कि उसे झूठे आरोपों में फंसाया जा रहा है।
परिवार का दावा – “अब्दुल निर्दोष है, उसे साजिश के तहत फंसाया गया”
अब्दुल की मां यास्मीन ने कहा कि उनका बेटा बैटरी रिक्शा चलाकर परिवार का पेट पालता था। उन्होंने सवाल उठाया कि एक गरीब रिक्शा चालक आतंकी कैसे हो सकता है? मां के मुताबिक,
“यह सब झूठ है, मेरा बेटा बीमार था, उसके दिल का ऑपरेशन हुआ था।”
पिता की मांग – अगर निर्दोष है तो रिहा करें
अब्दुल के पिता अबू बकर ने कहा कि पूरी निष्पक्ष जांच होनी चाहिए।
“अगर वह गुनहगार है तो सजा दी जाए, लेकिन अगर उसे फंसाया जा रहा है, तो हमें न्याय चाहिए।”
क्या जांच एजेंसियों पर कोई दबाव है?
अब्दुल की गिरफ्तारी को लेकर कई सवाल उठ रहे हैं – क्या बिना ठोस सबूत के एक निर्दोष युवक को आतंकवादी बताया जा सकता है?
क्या जांच एजेंसियां किसी दबाव में यह कार्रवाई कर रही हैं?
क्या यह एक और बेकसूर मुसलमान को आतंकी बनाकर जेल में डालने का मामला है?
क्या देश में सिर्फ एक खेल चल रहा है – पहले संदिग्ध बनाओ, फिर कोर्ट में घसीटो?
देश में कई मामलों में देखा गया है कि किसी को संदिग्ध बताकर गिरफ्तार किया जाता है, उसके खिलाफ कोई ठोस सबूत नहीं होता, फिर सालों तक मुकदमे चलते हैं।
- कोर्ट ट्रायल चलता रहता है, जिंदगी जेल में बर्बाद हो जाती है।
- जब सबूत नहीं मिलते तो बेकसूर को छोड़ दिया जाता है।
- लेकिन तब तक उसका करियर, परिवार और सामाजिक जीवन पूरी तरह तबाह हो चुका होता है।
क्या इस बार भी वही कहानी दोहराई जा रही है?
अब्दुल रहमान को आईएसआई और इस्लामिक स्टेट खुरासान प्रोविंस (ISKP) से जोड़ने का दावा किया गया है। लेकिन अभी तक पुख्ता सबूत सामने नहीं आए हैं। अगर अब्दुल दोषी है, तो उसे सजा मिले। लेकिन अगर वह निर्दोष है, तो क्या उसकी जिंदगी बर्बाद करने की जिम्मेदारी कोई लेगा?
देश को इस पर सोचने की जरूरत है – आतंकी साजिश का पर्दाफाश हो या एक और निर्दोष की बलि?