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औरंगज़ेब की कब्र को लेकर सियासी संग्राम, शिवसेना के दो गुटों में टकराव

महाराष्ट्र में औरंगजेब की कब्र को लेकर विवाद खत्म होने का नाम नहीं ले रहा है। इस मुद्दे पर शिवसेना (शिंदे गुट) और उद्धव ठाकरे गुट के नेताओं के बीच शनिवार को तीखी बयानबाजी हुई।

क्या कहा विपक्ष के नेता अंबादास दानवे ने?

महाराष्ट्र विधान परिषद में विपक्ष के नेता अंबादास दानवे ने कहा कि औरंगजेब की कब्र इस बात की निशानी है कि मुगल बादशाह को हराकर यहीं दफनाया गया था। उन्होंने कब्र हटाने की मांग को इतिहास मिटाने की साजिश बताया।

दानवे ने कहा, “हमें आने वाली पीढ़ियों को बताना चाहिए कि औरंगजेब यहां आया था और यहीं उसे दफनाया गया। कब्र को हटाने का आह्वान इतिहास मिटाने की साजिश है।” उन्होंने कब्र हटाने की मांग करने वालों को चुनौती देते हुए कहा, “अगर हिम्मत है तो जाकर हटाकर दिखाएं।”

शिंदे गुट के मंत्री संजय शिरसाट का पलटवार

शिंदे गुट के नेता और औरंगाबाद जिले के मंत्री संजय शिरसाट ने विपक्ष को जवाब देते हुए कहा कि “छत्रपति संभाजी महाराज को प्रताड़ित करने और उनकी हत्या करने वाले औरंगजेब की कब्र के लिए महाराष्ट्र में कोई जगह नहीं है।”

उन्होंने आगे कहा, “इस कब्र को हटाया जाना चाहिए। जो लोग औरंगजेब से प्यार करते हैं, वे कब्र के अवशेष अपने घर ले जा सकते हैं।” दानवे पर निशाना साधते हुए उन्होंने कहा, “विपक्ष पाकिस्तान के झंडे के साथ रैलियां निकालता है। अगर वे ऐसा सोचते हैं, तो उन्हें पाकिस्तान जाकर नमाज अदा करनी चाहिए।”

हिंदूवादी नेता मिलिंद एकबोटे पर प्रशासन सख्त, औरंगाबाद में प्रवेश पर रोक

इसी बीच, हिंदूवादी नेता मिलिंद एकबोटे को 16 मार्च से 5 अप्रैल तक औरंगाबाद में प्रवेश करने से रोक दिया गया है। प्रशासन के अनुसार, एकबोटे का संगठन ‘धर्मवीर संभाजी महाराज प्रतिष्ठान’ हर साल पुणे में छत्रपति संभाजी महाराज को श्रद्धांजलि देता है।

खुफिया रिपोर्ट के मुताबिक, एकबोटे और उनके समर्थक औरंगजेब की कब्र को हटाने के लिए खुल्दाबाद पहुंच सकते थे। सोशल मीडिया पर चल रही पोस्ट्स के अनुसार, फिल्म ‘छावा’ की रिलीज के बाद कई लोगों के विचार अतिवादी हो गए हैं।

विहिप और बजरंग दल करेंगे प्रदर्शन

प्रशासन के आदेश के अनुसार, विश्व हिंदू परिषद (VHP) और बजरंग दल ने 17 मार्च से कब्र को हटाने की मांग को लेकर आंदोलन करने की योजना बनाई है। इसे देखते हुए प्रशासन ने औरंगाबाद में एकबोटे और उनके समर्थकों के प्रवेश पर रोक लगा दी है।

गौरतलब है कि एकबोटे पर 2018 के भीमा कोरेगांव हिंसा भड़काने का आरोप लग चुका है। वे सतारा के प्रतापगढ़ में अफजल खान की कब्र हटाने के आंदोलन में भी शामिल थे। छत्रपति शिवाजी महाराज ने 1659 में अफजल खान का वध किया था, और उसकी कब्र प्रतापगढ़ में स्थित है।

क्या होगा आगे?

महाराष्ट्र में औरंगजेब की कब्र को लेकर राजनीति तेज हो गई है। प्रशासन अलर्ट पर है, और किसी भी अप्रिय घटना को रोकने के लिए औरंगाबाद में सख्त सुरक्षा व्यवस्था लागू की गई है।

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