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नागपुर में भड़की सांप्रदायिक हिंसा, जमात-ए-इस्लामी हिंद ने सरकार को घेरा

नागपुर शहर में हुई सांप्रदायिक हिंसा के मामले में 50 से अधिक लोगों को हिरासत में लिया गया है और पांच प्राथमिकी दर्ज की गई हैं। इस बीच, जमात-ए-इस्लामी हिंद (JIH) ने इस हिंसा की निंदा करते हुए महाराष्ट्र सरकार पर स्थिति को संभालने में विफल रहने का आरोप लगाया है।

JIH ने सरकार पर लगाए आरोप

JIH के उपाध्यक्ष मलिक मोआतसिम खान ने कहा कि “महाराष्ट्र सरकार सांप्रदायिक हिंसा को रोकने में पूरी तरह विफल रही है।” उन्होंने आरोप लगाया कि राज्य प्रशासन ने नफरत फैलाने वालों को खुली छूट दे रखी है, जिससे माहौल बिगड़ रहा है।

उन्होंने कहा,
“हम अपील करते हैं कि नफरत और सांप्रदायिक सौहार्द को बिगाड़ने के लिए जिम्मेदार लोगों पर सख्त कार्रवाई की जाए।”

इसके अलावा, उन्होंने नागरिकों से संयम और शांति बनाए रखने की भी अपील की।

नागपुर में हिंसा क्यों भड़की?

पुलिस के अनुसार, 17 मार्च की शाम करीब 7:30 बजे मध्य नागपुर के चिटनिस पार्क इलाके में हिंसा भड़क उठी।

हिंसा की वजह बनी एक अफवाह, जिसमें कहा गया कि औरंगजेब की कब्र को हटाने की मांग को लेकर एक दक्षिणपंथी संगठन के प्रदर्शन के दौरान एक धर्मग्रंथ जलाया गया। इसके बाद पथराव शुरू हो गया, जिसमें छह आम नागरिक और तीन पुलिसकर्मी घायल हो गए।

मुख्यमंत्री और उपमुख्यमंत्री की प्रतिक्रिया

महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने कहा कि “नागपुर में हुई हिंसा एक साजिश प्रतीत होती है।”

उन्होंने कहा,
“भीड़ ने चुनिंदा घरों और प्रतिष्ठानों को निशाना बनाया है।”

इसके अलावा, उन्होंने जानकारी दी कि हिंसा में तीन पुलिस उपायुक्तों सहित 33 पुलिसकर्मी घायल हुए हैं और एक वरिष्ठ अधिकारी पर कुल्हाड़ी से हमला हुआ।

उपमुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे ने दावा किया कि यह एक खास समुदाय को निशाना बनाने की साजिश थी।

अगले कदम क्या होंगे?

सरकार और प्रशासन ने सख्त कार्रवाई का आश्वासन दिया है। हिरासत में लिए गए 50 से अधिक लोगों से पूछताछ जारी है, और पुलिस किसी भी संभावित साजिश की जांच कर रही है।

इस बीच, नागपुर में तनावपूर्ण शांति बनी हुई है, और पुलिस ने संवेदनशील इलाकों में कड़ी सुरक्षा तैनात कर दी है।

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