गिरिराज सिंह का बयान: ‘हिंदू देश में सुरक्षित नहीं, सभी मुसलमान पाकिस्तान चले जाते तो ऐसी नौबत नहीं आती’
केंद्रीय कपड़ा मंत्री गिरिराज सिंह ने बिहार में हिंदुओं को संगठित करने के उद्देश्य से एक बड़ा अभियान शुरू करने का ऐलान किया है। 18 अक्टूबर से उनकी ‘हिन्दू स्वाभिमान यात्रा’ का पहला चरण भागलपुर से शुरू होगा और 22 अक्टूबर को मुस्लिम बहुल क्षेत्र किशनगंज में समाप्त होगा। गिरिराज सिंह का दावा है कि यह यात्रा हिंदुओं को एकजुट करने और उनके अधिकारों की रक्षा के लिए निकाली जा रही है। हालांकि, विपक्षी दल आरजेडी इसे बीजेपी की वोट बैंक की राजनीति बता रहा है और इस पर तीखे हमले कर रहा है।
गिरिराज सिंह का बयान: हिंदुओं पर हो रहे हमलों का जवाब
11 अक्टूबर को एबीपी न्यूज से बातचीत में गिरिराज सिंह ने कहा कि धर्म के नाम पर देश बंट गया था, मुसलमान पाकिस्तान चले गए और हिंदुओं को हिंदुस्तान मिला। अगर आजादी के समय सभी मुसलमान पाकिस्तान चले गए होते तो आज हमारे धार्मिक जुलूसों पर पत्थर, तलवार और गोलीबारी जैसी घटनाएं नहीं होतीं।
उन्होंने आगे कहा कि बिहार सहित देश में हिंदुओं पर हमले बढ़ रहे हैं। दुर्गापूजा, सरस्वती पूजा और रामनवमी के जुलूसों पर पत्थरबाजी हो रही है। सावन के कांवड़ यात्रा के दौरान भी हिंसा हो रही है। गिरिराज सिंह ने कहा, “हमने कभी तजिया या किसी मुस्लिम त्योहार पर पत्थर नहीं फेंके, फिर भी हिंदुओं पर हमले हो रहे हैं। ऐसे में देश के हिंदुओं को एकजुट होना होगा।”
‘हिन्दू स्वाभिमान यात्रा’ का उद्देश्य
गिरिराज सिंह के अनुसार, यह यात्रा हिंदुओं को संगठित करने के लिए निकाली जा रही है ताकि वे अपने अधिकारों और धार्मिक स्वतंत्रता की रक्षा कर सकें। यह यात्रा बिहार के मुस्लिम बहुल क्षेत्रों में भी जाएगी, जिसमें सीमांचल प्रमुख रूप से शामिल है। सिंह का कहना है कि इस यात्रा का उद्देश्य लोकतंत्र की रक्षा और हिंदुओं के स्वाभिमान को बनाए रखना है।
आरजेडी का तीखा हमला: बीजेपी कर रही वोट बैंक की राजनीति
गिरिराज सिंह की ‘हिन्दू स्वाभिमान यात्रा’ को लेकर आरजेडी ने कड़ा विरोध जताया है। पार्टी के प्रवक्ता मृत्युंजय तिवारी ने इस यात्रा को हिंदू-मुस्लिम विभाजन का एक नया प्रयास बताया और कहा कि बीजेपी हिंदुओं को संगठित करने के नाम पर अपना वोट बैंक बढ़ाने की कोशिश कर रही है।
उन्होंने कहा, “गिरिराज सिंह की यह यात्रा हिन्दू-मुस्लिम के बीच फसाद पैदा करने के लिए है। बीजेपी यह सोच रही है कि 2025 के विधानसभा चुनाव में उन्हें वोट नहीं मिलेंगे, इसलिए वे इस तरह की यात्राओं के जरिए धार्मिक भावनाओं को भड़का रहे हैं। बिहार में हिंदू-मुसलमान या भारत-पाकिस्तान के एजेंडे नहीं चलेंगे। यहां तेजस्वी यादव के ‘पढ़ाई, कमाई, दवाई, सिंचाई’ जैसे विकास के मुद्दे ही काम करेंगे।”
यात्रा के पीछे चुनावी रणनीति?
आरजेडी के तिवारी ने आरोप लगाया कि यह यात्रा सीधे तौर पर आगामी विधानसभा चुनावों को ध्यान में रखकर निकाली जा रही है। उन्होंने कहा कि बीजेपी जानती है कि जनता अब उसके जुमलों से प्रभावित नहीं होगी, इसलिए वह हिंदू-मुस्लिम विभाजन के जरिए अपने वोट बैंक को सुरक्षित करने की कोशिश कर रही है। उन्होंने सवाल उठाया कि बीजेपी गरीबी, बेरोजगारी, शिक्षा और स्वास्थ्य जैसे महत्वपूर्ण मुद्दों पर यात्रा क्यों नहीं निकाल रही है?
गिरिराज सिंह की प्रतिक्रिया: लोकतंत्र की सुरक्षा के लिए यात्रा
इन आरोपों के जवाब में गिरिराज सिंह ने कहा कि यह यात्रा किसी राजनीतिक लाभ के लिए नहीं, बल्कि लोकतंत्र की रक्षा के लिए निकाली जा रही है। उन्होंने कहा, “जब मुसलमान अपने अधिकारों की बात करते हैं तो कोई फसाद नहीं होता, लेकिन जब हिंदू अपने अधिकारों की बात करते हैं तो इसे दंगा फसाद कहा जाता है। यह दोहरी नीति नहीं चल सकती।”
राजनीतिक माहौल गरमाया
गिरिराज सिंह की ‘हिन्दू स्वाभिमान यात्रा’ से बिहार की राजनीति में उबाल आ गया है। एक ओर बीजेपी इसे हिंदुओं के अधिकारों की रक्षा के लिए आवश्यक बता रही है, वहीं दूसरी ओर आरजेडी इसे चुनावी राजनीति का हिस्सा बता रही है।
यह यात्रा बिहार के चुनावी समीकरणों पर कितना असर डालेगी, यह तो आने वाला समय ही बताएगा, लेकिन फिलहाल इस यात्रा ने बिहार की राजनीति को गर्मा दिया है।