महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव से पहले शिंदे सरकार का बड़ा फैसला: मदरसा शिक्षकों के वेतन में की वृद्धि
महाराष्ट्र में आगामी विधानसभा चुनाव से पहले मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे की अगुवाई वाली सरकार ने मुस्लिम समुदाय और अन्य पिछड़ा वर्ग (OBC) के लिए कई बड़े फैसले लिए हैं। गुरुवार को शिंदे सरकार की कैबिनेट बैठक में कुल 16 महत्वपूर्ण निर्णय लिए गए, जिनमें मदरसा शिक्षकों के वेतन में बढ़ोतरी और ओबीसी क्रीमी लेयर की सीमा बढ़ाने का फैसला शामिल है।
मदरसा शिक्षकों के वेतन में वृद्धि
कैबिनेट ने मदरसों में पढ़ाने वाले शिक्षकों के वेतन में वृद्धि को मंजूरी दी है। महाराष्ट्र के मदरसों में पारंपरिक धार्मिक शिक्षा के साथ-साथ गणित, विज्ञान, समाजशास्त्र, हिंदी, मराठी, अंग्रेजी और उर्दू पढ़ाने के लिए D.Ed और B.Ed शिक्षकों की नियुक्ति की जाती है। इन शिक्षकों को अब डॉ. जाकिर हुसैन मदरसा आधुनिकीकरण योजना के तहत ज्यादा वेतन मिलेगा।
वर्तमान में D.Ed शिक्षकों को 6 हजार रुपये मासिक वेतन मिलता है, जिसे अब बढ़ाकर 16 हजार रुपये कर दिया गया है। वहीं, B.Ed और B.Sc-B.Ed शिक्षकों का वेतन 8 हजार रुपये से बढ़ाकर 18 हजार रुपये करने का निर्णय लिया गया है। यह फैसला मदरसा शिक्षकों के लिए एक बड़ी राहत साबित होगा और उन्हें उनकी मेहनत के अनुसार बेहतर पारिश्रमिक मिलेगा।
ओबीसी क्रीमी लेयर की सीमा में बदलाव
इसके साथ ही शिंदे सरकार ने अन्य पिछड़ा वर्ग (OBC) की क्रीमी लेयर की सीमा को 8 लाख रुपये से बढ़ाकर 15 लाख रुपये करने का प्रस्ताव भी पास किया है। यह निर्णय ओबीसी वर्ग के अधिक लोगों को सरकारी नौकरियों और शिक्षा में आरक्षण का लाभ दिलाने के उद्देश्य से लिया गया है।
चुनाव से पहले बड़ा राजनीतिक कार्ड
महाराष्ट्र में जल्द ही विधानसभा चुनाव की घोषणा होने की संभावना है। इससे पहले, शिंदे सरकार ने मुस्लिम समुदाय और ओबीसी वर्ग के लिए यह बड़े फैसले लेकर राजनीतिक माहौल में हलचल मचा दी है। माना जा रहा है कि सरकार का यह कदम इन समुदायों को लुभाने के लिए उठाया गया है।
मराठा आरक्षण पर विवाद
इसी बीच, मराठा समुदाय के नेता मनोज जरांगे द्वारा मराठाओं को ओबीसी में शामिल करने की मांग को लेकर विरोध प्रदर्शन जारी है। उन्होंने महाराष्ट्र सरकार के इस फैसले पर सवाल उठाते हुए कहा है कि मराठा समुदाय को ओबीसी में शामिल क्यों नहीं किया गया। बुधवार को सरकार ने 15 अन्य जातियों को ओबीसी में शामिल करने की सिफारिश केंद्र सरकार को भेजी थी, लेकिन मराठा समुदाय को इसमें जगह नहीं दी गई, जिस पर जरांगे ने नाराजगी जताई है।
शिंदे सरकार के ये फैसले चुनावी रणनीति के हिस्से के रूप में देखे जा रहे हैं, जहां सरकार विभिन्न वर्गों को साधने की कोशिश कर रही है।