नवाब मलिक की बेटी सना मलिक के मुकाबले शिंदे गुट ने उतारा था उम्मीदवार, नामांकन वापस लेने की ख़बर से चुनावी स्थिति में हलचल
महाराष्ट्र विधानसभा चुनावों के बीच, अणुशक्ति नगर विधानसभा क्षेत्र से शिंदे गुट ने अपने उम्मीदवार अविनाश राणे का नामांकन वापस ले लिया है। इस क्षेत्र में अजित पवार गुट की नवाब मलिक की बेटी सना मलिक भी चुनावी मैदान में हैं, जिससे चुनावी समीकरण और भी दिलचस्प हो गए हैं। महायुति के इस कदम से यह स्पष्ट होता है कि उन्होंने अपने सहयोगियों के साथ एकजुटता बनाए रखने के लिए यह निर्णय लिया है, ताकि चुनावी रणनीति को मजबूती मिल सके।
नामांकन की स्थिति
महाराष्ट्र में विधानसभा चुनाव के लिए कुल 10,900 उम्मीदवारों ने नामांकन दाखिल किया था। इन नामांकनों में से 1,654 को अमान्य घोषित किया गया, जबकि 9,260 नामांकन स्वीकार किए गए। इसके बाद, 983 उम्मीदवारों ने अपना नामांकन वापस ले लिया। इस तरह, अब विधानसभा चुनावों के लिए 8,272 उम्मीदवार मैदान में हैं, जिनकी किस्मत का फैसला राज्य की जनता करेगी।
बागियों की वापसी
सोमवार, 4 नवंबर को सभी राजनीतिक दलों ने बागियों और नाराज नेताओं को मनाने के प्रयास किए, और इन कोशिशों में कुछ हद तक सफलता भी मिली।
- गोपाल शेट्टी, जो बीजेपी के वरिष्ठ नेता और पूर्व सांसद हैं, उन्होंने बोरीवली विधानसभा सीट से निर्दलीय के रूप में नामांकन भरा था, लेकिन सोमवार को उन्होंने अपनी उम्मीदवारी वापस ले ली।
- विश्वजीत गायकवाड़, बीजेपी नेता, ने उदगीर विधानसभा सीट से निर्दलीय उम्मीदवार के रूप में अपना नामांकन वापस लेने का फैसला किया।
- प्रदीप शर्मा, जो एनकाउंटर स्पेशलिस्ट के रूप में जाने जाते हैं, की पत्नी स्वीकृति शर्मा ने भी अंधेरी पूर्व सीट से नामांकन वापस लिया। उन्होंने पहले निर्दलीय उम्मीदवार के रूप में लड़ने का निर्णय लिया था, लेकिन बाद में अपना नामांकन वापस लेने का फैसला किया।
- जालना सीट पर शिंदे गुट के अर्जुन खोत्कर के खिलाफ बीजेपी के भास्कर दानवे ने अपना नामांकन वापस लिया।
- नागपुर पश्चिम सीट पर, बीजेपी के सुधाकर कोहले के खिलाफ बागी नरेश बरडे ने भी अपना नामांकन वापस लिया।
- पुसाद यवतमाल सीट पर, अजित पवार गुट के इन्द्रानिल नाइक के खिलाफ बागी ययाति नाइक ने अपना नामांकन वापस लिया।
महायुति की चुनौतियाँ
महायुति के भीतर यह असंतोष और नामांकन वापस लेने की स्थिति चुनावी रणनीति को प्रभावित कर सकती है। पार्टी के शीर्ष नेताओं ने बागियों को मनाने की कवायद शुरू की है, ताकि चुनावी परिदृश्य को और अधिक मजबूत किया जा सके। हालांकि, यह स्पष्ट है कि उम्मीदवारों के बीच असंतोष और नाराजगी की लहर ने महायुति को चुनौती दी है, जिसे समय पर हल करना आवश्यक है।
इस समय, जब चुनावी प्रक्रिया अपने चरम पर है, सभी राजनीतिक दलों को अपनी स्थिति को मजबूत करने के लिए रणनीतिक कदम उठाने होंगे। महायुति की कोशिश है कि वे अपनी एकजुटता बनाए रखें और उम्मीदवारों के बीच किसी भी प्रकार की नाराजगी को कम करने के लिए सक्रिय रहें।
इस चुनाव में न केवल उम्मीदवारों की किस्मत बल्कि पार्टी की भी राजनीतिक स्थिरता दांव पर है।