महाराष्ट्र चुनाव: 1 करोड़ मुस्लिम वोटरों का रुझान किस ओर? कांग्रेस का प्लान बनेगा BJP के लिए चुनौती?
मुस्लिम वोट बैंक की अहमियत और चुनावी दांव
महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव 2024 में मुस्लिम वोटरों की भूमिका अहम मानी जा रही है। प्रदेश की कुल 120 सीटों पर मुस्लिम वोटर निर्णायक भूमिका निभा सकते हैं, जिनमें 60 सीटों पर मुस्लिम वोटर की आबादी 15 प्रतिशत से अधिक है, और 38 सीटों पर 20 प्रतिशत से अधिक। इस समुदाय का एक बड़ा हिस्सा पारंपरिक रूप से कांग्रेस और एनसीपी का समर्थन करता रहा है, लेकिन इस बार का चुनावी समीकरण बदलता हुआ दिख रहा है।
बीजेपी की ‘वोट जिहाद’ टिप्पणी पर ओवैसी का पलटवार
बीजेपी ने मुस्लिम वोट बैंक को लेकर ‘वोट जिहाद’ जैसी टिप्पणियां की हैं, जिस पर एआईएमआईएम के प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी ने तीखी प्रतिक्रिया दी है। ओवैसी ने बीजेपी पर वोटरों को बांटने का आरोप लगाते हुए इसे अंग्रेजों की ‘फूट डालो और राज करो’ की नीति से जोड़ दिया। इस मुद्दे पर दोनों पक्षों में बयानबाजी जारी है और चुनावी माहौल गर्म है।
मुस्लिम उम्मीदवारों की संख्या में गिरावट
महाराष्ट्र की 150 सीटें ऐसी हैं जहां कोई मुस्लिम उम्मीदवार चुनाव नहीं लड़ रहा है। इसके अलावा, बीजेपी और शिवसेना (उद्धव ठाकरे गुट) ने इस बार किसी भी मुस्लिम प्रत्याशी को टिकट नहीं दिया है। शिंदे गुट की शिवसेना ने मात्र 1 मुस्लिम उम्मीदवार को मौका दिया है, जबकि अजित पवार ने 4, कांग्रेस ने 9 और सपा ने 2 मुस्लिम प्रत्याशी उतारे हैं। एआईएमआईएम ने कुल 14 में से 10 सीटों पर मुस्लिम उम्मीदवारों को मैदान में उतारा है, जो मुस्लिम मतदाताओं को अपनी ओर आकर्षित करने का प्रयास कर रही है।
क्या ओवैसी का प्रभाव महायुति के लिए चुनौती बनेगा?
इस बार ओवैसी की पार्टी एआईएमआईएम कुछ सीटों पर मुस्लिम वोटों में सेंध लगा सकती है, जो महायुति और खासकर अजित पवार के लिए चिंता का विषय बन सकता है। ओवैसी का प्रभाव मुंबई और मराठवाड़ा के कुछ हिस्सों में देखा जा सकता है, जिससे महाविकास आघाड़ी (एमवीए) के मुस्लिम वोट बंट सकते हैं।
चुनाव परिणाम में मुस्लिम वोट बैंक की भूमिका
राजनीतिक विशेषज्ञों का मानना है कि मुस्लिम वोट बैंक इस चुनाव में दोनों गठबंधनों के लिए महत्वपूर्ण साबित होगा। अगर मुस्लिम मतदाता मतदान में शामिल नहीं होते हैं, तो इसका सीधा फायदा महायुति को हो सकता है। वहीं, मुस्लिम मतदाताओं की नाराजगी का असर महाविकास आघाड़ी (एमवीए) पर भी पड़ सकता है।
महाराष्ट्र में मुस्लिम समुदाय की चुनाव में निर्णायक भूमिका हो सकती है। इस बार के चुनावी संग्राम में मुस्लिम मतदाताओं का झुकाव और उनके वोटों की भूमिका किसी भी पक्ष के लिए निर्णायक साबित हो सकती है।